रूस क्या वास्तव में तालिबानी नेताओं से आपसी संबंध बढ़ाना चाहता है ? रूस ने अफगानिस्तान के मसले पर अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में इस बार तालिबानी नेताओं (Talibani Leaders) को भी न्यौता दिया है. यह कॉन्फ्रेंस 20 अक्टूबर को मॉस्को होने वाली है. यह पहला मौका होगा जब किसी सार्वजनिक मंच पर तालिबान के नेता अपनी बात रख सकेंगे. खबरों के मुताबिक इस बार की कॅान्फ्रेंस में तालिबानी नेताओं को भी न्यौता भेजा गया है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं. आपको बता दें कि मॉस्को में इस साल मार्च में अफगानिस्तान मसले पर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस बुलाई गई थी. जिसमें कई प्रमुख देशों ने अफगानिस्तान की हिंसा रोकने के लिए तालिबान से कहा था..
उसी का नतीजा हुआ कि तालिबान ने हाल ही में पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा जमा लिया. जिसके चलते अमेरिका और उसके गठजोड़ वाली सेनाओं को करीब 20 साल बाद अफगानिस्तान छोड़ना पड़ा. पुतिन अफगानिस्तान की ताजा स्थिति में तालिबानी नेताओं को शरीक करना चाहते हैं ताकि इसका सही हल निकाला जा सके.
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रूस के मध्य एशिया के देशों में इस्लामी आतंकवादियों की घुसपैठ की संभावना से चिंतित है. क्योंकि मॉस्को इसे दक्षिणी रक्षात्मक बफर के रूप में देखता है.
तालिबान के कब्जे के बाद मॉस्को ने ताजिकिस्तान में सैन्य अभ्यास किया है. वहां अपने सैन्य अड्डे पर अपने हार्डवेयर को मजबूत किया है. ताजिक राष्ट्रपति ने एक बयान में कहा कि पुतिन ने गुरुवार को ताजिक राष्ट्रपति इमोमाली रखमोन के साथ एक फोन कॉल किया, जिसमें दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान में नवीनतम घटनाओं के आसपास की सुरक्षा स्थिति पर चर्चा की.
HIGHLIGHTS
- रूस 20 अक्टूबर को मास्को में अंतरराष्ट्रीय वार्ता करेगा
- तालिबान के साथ मेल-जोल बढ़ाने के क्या हो सकते हैं मायने ?
- बैठक में तालिबानी नेताओं को शरीक करना चाहते हैं पुतिन