अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर मामले में मुख्य आरोपी कार्लोस गेरोसा को इटली में गिरफ्तार किया गया है। यह गिरफ्तारी इंटरपोल के नोटिस के आधार पर की गई है। आपको बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इंटरपोल से मदद मांगी थी।
ईडी के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जल्द ही राजनयिक चैनलों के जरिये गेरोसा को भारत प्रत्यर्पित करने का प्रयास किया जाएगा।
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'गेरोस को इंटरपोल नोटिस के आधार पर कुछ दिनों पहले इटली में गिरफ्तार किया गया। ईडी ने इसके लिए अनुरोध किया था। इंटरपोल ने इसके बारे में ईडी को जानकारी दी है। इस संबंध में प्रत्यर्पण का आग्रह पेश किया जा रहा है।'
गेरोसा को उस समय गिरफ्तार किया गया जब वह स्विटजरलैंड से इटली आ रहा था। अधिकारी ने बताया कि ईडी और सीबीआई की एक संयुक्त टीम इस मामले पर काम कर रही है।
70 वर्षीय गेरोसा इस मामले में वांछित तीन कथित बिचौलियों में से एक है। उसकी गवाही और बयान इस मामले में सीबीआई व ईडी की जांच में बहुत महत्वपूर्ण है।
ईडी ने पिछले साल गेरोसा और दो अन्य ब्रिटिश नागरिक क्रिस्टिन माइकल जेम्स और इटली के गुइडो हास्चके के खिलाफ इंटरपोल रेड कार्नर नोटिस को अधिसूचित किया था।
क्या है घोटाला?
3,600 करोड़ रुपये के अगस्तावेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर मामले में घोटाले की खबर के बाद सीबीआई और ईडी इसकी जांच कर रही है। इस मामले में पूर्व वायुसेना प्रमुख एस.पी. त्यागी और 21 अन्य लोग आरोपी हैं।
जांच एजेंसी सीबीआई इस मामले में आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है।
एक अधिकारी के मुताबिक, 'आरोप-पत्र में इस बारे में जानकारी शामिल है कि रिश्वत राशि भारत कैसे पहुंची, जिन कंपनियों के जरिए पैसा पहुंचाया गया, वे अस्तित्व में कैसे आईं। इसके साथ ही एसपी त्यागी के चचेरे भाई संजीव उर्फ जूली यूरोप के जिस कथित बिचौलिए कार्लो गेरोसा को जानता था, उसका नाम आरोप-पत्र में शामिल है।'
त्यागी, उनके भाई संजीव और खेतान ब्रिटेन स्थित अगस्तावेस्टलैंड से 12 एडब्ल्यू-101 वीवीआईपी हेलीकॉप्टर खरीदने में हुई अनियमितता में कथित तौर पर लिप्त थे। इन सभी को पिछले वर्ष दिसंबर में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। त्यागी 2004 से 2007 तक वायुसेना प्रमुख थे।
सीबीआई ने 12 मार्च, 2013 को मामले में एक प्राथमिकी दर्ज की थी। एजेंसी ने आरोप लगाया है कि त्यागी और अन्य आरोपियों ने अगस्तावेस्टलैंड से रिश्वत ली थी और 53 करोड़ डॉलर का ठेका हासिल करने में कंपनी की मदद की थी। प्राथमिकी में आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार निवारक अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए थे।
ये 12 हेलीकॉप्टर भारतीय वायुसेना के कम्युनिकेशन स्क्वोड्रन के लिए थे, जिनका इस्तेमाल राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य वीवीआईपी को ढोने में किया जाना था।
सीबीआई ने कहा कि विभिन्न कंपनियों के जरिए कंसल्टेंसी के नाम पर स्वीकार की गई अवैध धनराशि के एवज में कंपनी की मदद की गई।
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Source : News Nation Bureau