इराक (Iraq) के प्रभावशाली मौलवी और शिया नेता मुक्तदा अल-सदर (Muqtada al-Sadr) के प्रति अपना समर्थन जाहिर करते सैकड़ों प्रदर्शनकारी हफ्ते में दूसरी बार ग्रीन जोन के सुरक्षा घेरे को तोड़ संसद भवन में घुस गए और उस पर कब्जा कर लिया. इसके पहले बुधवार को सदर के समर्थन में हजारों प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन पर कब्जा किया था, लेकिन सदर के आह्वान पर कुछ घंटों बाद ही अपने-अपने घरों को सुरक्षित वापस लौट गए थे. शनिवार के प्रदर्शन में खास बात यह रही कि पुलिस और प्रदर्शनकरियों के बीच हुए संघर्ष में 125 से अधिक लोग घायल हुए. पुलिस को प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ने समेत सख्ती का प्रदर्शन करना पड़ा. दूसरी प्रमुख बात यह है कि इस बार प्रदर्शनकारी अपनी मांगे मानी जाने तक संसद भवन पर अपना कब्जा छोड़ने के मूड में नहीं दिखते.
पीएम पद के उम्मीदवार अल-सुदानी का विरोध
मुक्तदा अल-सदर के आह्वान पर सदर आंदोलन में शामिल हजारों प्रदर्शनकारी ईरान समर्थिक फ्रेमवर्क गठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री पद के लिए घोषित उम्मीदवार मोहम्मद शिया अल-सुदानी (Mohammed Shia al-Sudani) का विरोध कर रहे हैं. इसी विरोध को जाहिर करने के लिए बुधवार को भी ग्रीन जोन में घुस संसद पर कब्जा कर लिया गया था. अब शनिवार को भी हजारों उग्र प्रदर्शनकारियों ने ग्रीन जोन के कंक्रीट बैरियर को तोड़ भारी हंगामा किया. उन्होंने ग्रीन जोन में सरकारी विभागों और विदेशी दूतावासों पर पथराव किया. इसके बाद संसद पर कब्जा कर लिया. इस बार उनके हाथों में राष्ट्रीय ध्वज, तख्तियां और मुक्तदा अल-सदर के पोस्टर भी थे. सुरक्षा बलों की उन्हें रोकने की कोशिश में 100 नागरिक और सुरक्षा बलों के 25 जवान घायल हो गए.
यह भी पढ़ेंः Inside Story: PFI इस तरह देता है देश-हिंदू विरोधी गतिविधियों को अंजाम
इस बार संसद से हटने का कोई संकेत नहीं
इस बीच प्रधानमंत्री मुस्तफा अल-कदीमी ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अपील जारी की है. इसके साथ ही उन्होंने सुरक्षा बलों को निर्देश दिया कि विदेशी दूतावास की सुरक्षा हर हाल में सुनिश्चित की जाए. गौरतलब है कि शनिवार को ही प्रधानमंत्री पद के लिए मोहम्मद अल-सुदानी को लेकर मतदान होना था, लेकिन बुधवार को संसद पर कब्जे के बाद इसे टाल दिया गया. प्रदर्शनकारियों का मानना है कि अल-सुदानी वास्तव में पूर्व प्रधानमंत्री नूरी अल-मलिकी (Nouri al-Maliki) की कठपुतली हैं. मलिकी उनकी आड़ में अपना शासन चलाएंगे और इराकी अवाम मलिकी को भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग का दोषी मानते हैं. शनिवार को संसद पर कब्जे के बाद प्रदर्शनकारियों की ओर से कोई संकेत नहीं मिला कि वह संसद से हटने वाले हैं.
यह भी पढ़ेंः ईडी की छापेमारी में अर्पिता के घर से मिली संदिग्ध डायरी, छिपे हो सकते है कई राज
राजनीतिक अस्थिरता का शिकार है इराक
गौरतलब है कि मौलवी अल-सदर के गुट ने इराक में अक्टूबर 2021 में हुए आम चुनाव में 73 सीटें जीती थीं. इस तरह यह 329 सीटों वाली संसद में सबसे बड़ा गुट बन गया, लेकिन राष्ट्रपति बनने के लिए जरूरी बहुमत न जुटा पाने की वजह से मुक्तदा अल-सदर सरकार गठन की बातचीत से अलग हो गए. इसके बाद इरान समर्थिक कदीमी के गठबंधन ने अल-सदर गुट से बगैर सलाह-मशविरा किए अल-सुदानी को पीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया. इसके विरोध में इराक भर में प्रदर्शन हो रहे हैं. शनिवार के घटनाक्रम से पता चलता है कि अल-सदर का अपने समर्थकों पर जबर्दस्त प्रभाव है और अगर अल-सुदानी के नेतृत्व में सरकार का गठन होता है, तो स्थिति गंभीर हो सकती है.
HIGHLIGHTS
- सप्ताह में दूसरी बार अल-सदर के समर्थकों ने संसद भवन पर कब्जा किया
- इस बार हुए हिंसक संघर्ष में 100 नागरिक और 27 सुरक्षा जवान घायल हुए
- अल-सदर के पोस्टर और तख्तियां लिए प्रदर्शनकारी संसद से हटने वाले नहीं