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शराब का प्रचार... इस नाम का इस्तेमाल, बस मच गया इंडोनेशिया में बवाल

यह सारा बखेड़ा इंडोनेशिया की एक बार चेन होलीविंग्स के एक प्रचार अभियान से शुरू हुआ. होलीविंग्स नाम की इस बार चेन ने एक ऑफर चलाया कि वह 'मोहम्मद' और 'मारिया' नाम के लोगों को एक दिन मुफ्त शराब देगा.

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Nihar Saxena
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बार चेन के सभी आउटलेट्स सील. 6 ईशनिंदा में गिरफ्तार.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया में इन दिनों 'मोहम्मद' और 'मारिया' का नाम लेकर बार चेन को एक प्रचार अभियान चलाना खासा महंगा पड़ा है. इंडोनेशिया सरकार ने न सिर्फ बार के सभी आउटलेट्स बंद कर दिए हैं, बल्कि बार चेन के आधा दर्जन कर्मचारियों को गिरफ्तार भी कर लिया है. इन सभी पर ईशनिंदा के तहत मुकदमा चलाया जाएगा. ईशनिंदा कानून के तहत इन सभी को 10 साल की सजा हो सकती है. यही नहीं, इन लोगों पर सजा के साथ-साथ भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है. ईशनिंदा का मुकादमा झेलने वालों में कंपनी के क्रिएटिव टीम के डायरेक्टर और प्रमोशनल टीम से जुड़े लोग भी शामिल हैं.

मुफ्त शराब के लिए प्रयोग किए पवित्र नाम
यह सारा बखेड़ा इंडोनेशिया की एक बार चेन होलीविंग्स के एक प्रचार अभियान से शुरू हुआ. होलीविंग्स नाम की इस बार चेन ने एक ऑफर चलाया कि वह 'मोहम्मद' और 'मारिया' नाम के लोगों को एक दिन मुफ्त शराब देगा. कंपनी ने इस प्रचार को सोशल मीडिया पर जारी भी कर दिया. इसके बारे में जैसे ही कुछ धार्मिक संगठनों को भनक लगी तो उनका गुस्सा बढ़ने लगा. इसकी जानकारी होते ही बार चेन ने सोशल प्लेटफॉर्म से विज्ञापन हटा भी लिया, लेकिन तब तक बार चेन के खिलाफ कार्रवाई की आवाज उठने लगी थी. इस कड़ी में सबसे पहले तो बार चेन के सभी आउटलेट्स बंद किए गए. फिर उसके आधा दर्जन कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया गया. सरकार के आधिकारिक बयान में कहा गया है कि लाइसेंस नहीं होने से बार को सील किया गया है. 

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ईशनिंदा कानून किसी धर्म के अपमान की इजाजत नहीं देता
हालांकि कंपनी ने इसके लिए माफी मांगी, लेकिन मामला ठंडा नहीं पड़ा. गौरतलब है कि इंडोनेशिया की 88 फीसदी आबादी मुस्लिम है और वहां ईशनिंदा को जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा जाता है. इंडोनेशिया अपने आपराधिक संहिता द्वारा ईशनिंदा को रोकता है. अनुच्छेद 156 (ए) उन लोगों पर लागू होता है जो जानबूझकर, सार्वजनिक रूप से, दूसरों को किसी भी धर्म का पालन करने से रोकने के उद्देश्य से शत्रुता, घृणा या धर्म के खिलाफ भावनाओं को व्यक्त करते हैं. इसके साथ ही उन लोगों को निशाना बनाते हैं जो एक धर्म का अपमान करते हैं. इसी ईशनिंदा कानून को बदलने की मांग भी की जाती रही है, क्योंकि देश के एक तबके को लगता है कि ईशनिंदा कानून की वजह से देश की सहिष्णुता और विविधता वाली छवि प्रभावित हो रही है. 

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संवैधानिक व्यवस्था है ईशनिंदा पर प्रतिबंध की
इंडोनेशिया के संविधान के अनुच्छेद 29 में कहा गया है, 'राज्य एक सर्वोच्च ईश्वर में विश्वास पर आधारित है.' संविधान यह निर्धारित नहीं करता है कि किस धर्म के भगवान  की पूजा की जाए. 2006 में धार्मिक मामलों के मंत्रालय ने छह धर्मों को देश में आधिकारिक दर्जा दिया. ये थे इस्लाम, ईसाई (कैथोलिक, प्रोटेस्टेंट), बौद्ध, हिंदू धर्म और कन्फ्यूशियसवाद. 9 दिसंबर 2006 को हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव ने एक नया कानून पारित किया जिसमें नागरिकों को छह धर्मों में से एक के सदस्य के रूप में सरकारी आईडी कार्ड पर खुद को पहचान बताना जरूरी किया गया था. इसके पहले 1975 में सरकार ने मुस्लिम सलाहकारों, इंडोनेशियाई उलेमा परिषद (एमयूआई) का एक निकाय बनाया था. एमयूआई आधिकारिक तौर पर सरकारी निकाय नहीं है, लेकिन इसका प्रभाव बहुत गहरा है. निर्णय लेने या कानून का मसौदा तैयार करते समय सरकार एमयूआई के फतवे पर विचार करती है.

HIGHLIGHTS

  • बार-चेन के विज्ञापन से उठ खड़ा हुआ बखेड़ा
  • धार्मिक संगठनों के रोष को देख बार चेन सील
  • गिरफ्तार लोगों पर चलेगा ईशनिंदा का मुकदमा
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