पाकिस्तान में 'जीवन रक्षक दवाओं की आड़ में भारत से आम दवाओं के आयात के अरबों रुपये के घोटाले' का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है. कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस मामले की जांच का आदेश दिया था, लेकिन विपक्ष ने कहा है कि इसकी संसदीय समिति द्वारा जांच कराई जानी चाहिए. मुख्य विपक्षी दल पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष शहबाज शरीफ ने कहा कि 'दवाओं के इस स्कैंडल' की संसदीय समिति द्वारा जांच कराई जाए. उन्होंने कहा कि अगर पीएमएल-एन के शासनकाल में ऐसा कुछ हुआ होता तो इमरान खान अब तक उस सरकार के खिलाफ गद्दारी का मुकदमा दर्ज करा चुके होते.
एक अन्य विपक्षी दल पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने एक बयान जारी कर कहा है कि प्रतिबंध के बावजूद भारत से दवाओं के आयात के लिए कौन जिम्मेदार है, इस बात का पता लगाने के लिए संसदीय जांच समिति का गठन किया जाए. इस मामले में सबसे कड़ा विरोध पाकिस्तान यंग फार्मासिस्ट एसोसिएशन (पीवाईपीए) ने दर्ज कराया है. संगठन ने प्रधानमंत्री के सलाहकार शहजाद अकबर को पत्र लिखकर प्रतिबंध के बावजूद भारत से 450 आम किस्म की दवाएं मंगाने की जांच कराने की मांग की है.
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इमरान खान ने दिया जांच का आदेश
पत्र में कहा गया कि कैंसर जैसे मर्ज के इलाज के लिए जीवन रक्षक दवाओं की इजाजत मांगी जानी थी लेकिन संघीय कैबिनेट को जो प्रस्ताव भेजा गया उसमें थेराप्यूटिक गुड्स (इलाज का सामान) शब्द इस्तेमाल किया गया ताकि हर तरह की दवा, वैक्सीन, यहां तक कि सरसों के तेल तक को भारत से मंगाया जा सके. बीते हफ्ते यह मामला संघीय कैबिनेट में उठा था जिसके बाद इमरान ने इस मामले की जांच का आदेश दिया और भारत से जीवन रक्षक दवाओं के अलावा अन्य सभी दवाओं को आयात करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था.
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पाकिस्तान के दवा उद्योग पर पड़ा असर
गौरतलब है कि बीते साल अगस्त में भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लेने के विरोध में पाकिस्तान ने भारत से व्यापार रोक दिया. लेकिन, इसका असर पाकिस्तान पर ही, खासकर वहां के दवा उद्योग पर पड़ा जो काफी हद तक भारत पर निर्भर है. बाद में पाकिस्तान सरकार को फैसला लेना पड़ा कि भारत से जीवन रक्षक दवाएं मंगाई जा सकती हैं.