चीन की दादागिरी बढ़ती जा रही है. भारत समेत कई देशों पर वो अपना धौंस दिखा रहा है. हालांकि भारत चीन का मुंहतोड़ जवाब दे रहा है. लेकिन इस बीच अब अमेरिका ड्रैगन से मुकाबला करने के लिए कमर कस ली है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अमेरिका अपने हजारों सैनिकों को जापान से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक पूरे एशिया में तैनात करने जा रहा है.
चीन लगातार अमेरिका से भी उलझा पड़ा है. उसने अमेरिका से ट्रेड वॉर छेड़ रखा है. चीन को तोड़ने के लिए अमेरिका अब ये कदम उठाने जा रहा है. डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन का मानना है कि इंडो-पैसफिक इलाके में शीत युद्ध के बाद यह सबसे अहम भूराजनैतिक चुनौती है. हजारों सैनिकों की तैनाती के बाद अमेरिका सेना अपने वैश्विक दबदबे को फिर से कामय करेगी.
ब्रिटेन हजारों सैनिक स्वेज नहर के पास तैनात करने जा रहा है
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ब्रिटेन भी अपने हजारों कमांडो स्वेज नहर के पास तैनात करने जा रहा है. अमेरिका जर्मनी में तैनात अपने हजारों सैनिकों को अब एशिया में तैनात करने वाला है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ये सैनिक अमेरिका के गुआम ,हवाई, अलास्का, जापान और ऑस्ट्रेलिया स्थिति सैन्य अड्डों पर तैनात किए जाएंगे.
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चीन और रूस से मुकाबला करने के लिए अमेरिका को मजबूत कदम उठाने होंगे
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन ने पिछले महीने अपने एक लेख में कहा था कि चीन और रूस जैसी दो महाशक्तियों के साथ मुकाबला करने के लिए अमेरिकी सेना को अग्रिम इलाकों में पहले के मुकाबले ज्यादा संख्या में तैनात करना होगा. साल 2000 में अमेरिका का फोकस मुख्य रूप से आतंकवाद था. उसने अफगानिस्तान और इराक में आतंकवाद के खिलाफ जंग छेड़ा था. लेकिन अब उसका मुकाबाल चीन के साथ है.
9 हजार से ज्यादा सैनिक एशिया में तैनात किए जाएंगे
चीन पर लगाम कसने के लिए अमेरिका जर्मनी से अपने सैनिकों की संख्या 34 हजार 500 से घटाकर 25 हजार करने जा रहा है. 9 हजार 500 अमेरिका सैनिकों को एशिया में तैनात किया जाएगा. या फिर उन्हें अमेरिका में स्थिति सैन्य अड्डे पर भेजा जाएगा.
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चीन भी सेना पर रूस से तीन गुना ज्यादा कर रहा है खर्च
इधऱ चीन भी लगातार अपनी सेना पर खर्चा बढ़ा रहा है. चीन रूस के मुकाबले तीन गुना ज्यादा पैसा रक्षा पर खर्च कर रहा है. चीन की रणनीति है कि अमेरिकी जंगी जहाजों और फाइटर जेट उसके करीब ना आ पाए. चीन अपनी मिसाइल क्षमता को बढ़ा रहा है. इसके साथ ही रडार क्षमता को और ज्यादा आधुनिक बना रहा है.