एक ओर जहां भारत में कृषि कानूनों को लेकर भारी विरोध हो रहा है. वहीं दूसरी ओर अमेरिका ने इन कृषि कानूनों का समर्थन किया है. अमेरिका ने कहा है कि इन कृषि कानूनों से बाजारों की दक्षता में सुधार होगा. साथ ही इसके जरिए निजी निवेश भी आकर्षित होगा. बाइडन प्रशासन का कहना है कि वह मोदी सरकार के इस फैसले का स्वागत करती है. हालांकि अमेरिका ने यह भी कहा है कि भारत में कृषि कानूनों को लेकर चल रहा विरोध एक संपन्न लोकतंत्र को दर्शाता है.
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संपन्न लोकतंत्र के लिए शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन एक पहचान
भारत में कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता का कहना है कि अमेरिकी सरकार कृषि के क्षेत्र में सुधार के लिए भारत सरकार के द्वारा उठाए गए कदम का समर्थन करती है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना है कि किसी भी संपन्न लोकतंत्र के लिए शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन एक पहचान है और भारत की सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस बात को स्वीकार किया है. प्रवक्ता का कहना है कि भारत में बातचीत के जरिए वहां पार्टियों के बीच पनपे किसी भी मतभेद को हल करने के पक्ष में है.
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बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कुछ समय पहले कृषि कानूनों को भारत के कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया था. आईएमएफ की कम्युनिकेशन निदेशक गेरी राइस ने उस समय कहा था कि उनका मानना है कि भारत में कृषि के क्षेत्र में सुधार के लिए कृषि कानून एक महत्वपूर्ण कदम है. उनका कहना था कि कृषि कानूनों के जरिए किसानों को विक्रेताओं के साथ सीधे अनुबंध करने में सक्षम हो जाएंगे और बिचौलियों की भूमिका खत्म हो जाएगी.