भले ही राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) के नेतृत्व में अमेरिका ने अफगानिस्तान को अधर में छोड़ दिया हो, लेकिन पेंटागन की मानें तो अमेरिकी सेना आईएस-केपी (ISKP) को नेस्तनाबूद करने के लिए तालिबान की ही मदद ले सकता है. इसके पीछे तालिबान (Taliban) और आईएस-केपी के समीकरण हैं, जिसके तहत आईएस-केपी तालिबान को अपना दुश्मन मानने लगा है. ऐसे में तालिबान को अमेरिका मदद देकर आतंक के इस मॉड्यूल को जड़ें खोद सकता है. इस संभावना को पेंटागन (Pentagon) के शीर्ष अधिकारी की बात से बल मिल रहा है, जिसमें उन्होंने आतंक के खिलाफ जंग में तालिबान से हाथ मिलाने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया गया.
अमेरिका कह चुका है जारी रहेगी आतंक के खिलाफ जंग
गौरतलब है कि अफगानिस्तान पर तालिबान राज की वापसी पर आईएस ने अपने मुखपत्र में इसे सांठगांठ करार देते हुए आरोप लगाया था कि तालिबान ने इस्लामी शासन की बहाली के मार्ग में अपना विश्वास खो दिया है. इसके बाद ही काबुल हवाई अड्डे पर आतंकी हमला होता है औऱ 13 अमेरिकी सैनिकों समेत 200 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है. यह अलग बात है कि अमेरिका नांगरहार में ड्रोन हमला कर आतंकी हमले के दोषी को मार गिराने का दावा करता है. इस कड़ी में अगला कदम तालिबान की मदद से आईएस-केपी मॉडयूल का खात्मा करना है. अमेरिका की ओर से पहले भी कहा जा चुका है कि वह आतंक के खिलाफ अपना अभियान जारी रखेगा.
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कई बयान दे रहे हैं इस बात का इशारा
ऐसे में ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ जनरल मार्क मिली का बयान है. बुधवार को एक संवादताता सम्मेलन में जनरल मिली से एक पत्रकार ने पूछा था कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में क्या अमेरिका तालिबान से हाथ मिलाएगा? इस पर जनरल मिली ने स्पष्ट जवाब नहीं देते हुए कहा था कि इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. इसके पहले यूएस सेंट्रल कमांड के प्रमुख मरीन जनरल फ्रैंक मैकेंजी ने अफगानिस्तान से निकासी प्रक्रिया के दौरान तालिबान के साथ अमेरिकी संबंधों को बहुत व्यावहारिक और व्यावसायिक बताया था. उनका कहना था कि तालिबान ने एयरपोर्ट को सुरक्षित करने में अमेरिका की मदद की.
HIGHLIGHTS
- अमेरिकी चीफ ऑफ स्टाफ जनरल मार्क मिली का बयान दे रहा संकेत
- इसके पहले जनरल मैकेंजी ने तालिबान से संबंधों पर दिया था बयान
- बदली स्थितियों में अमेरिकी सेना तालिबान की मदद को लग रही राजी