अमेरिका ने एक बड़ा कदम उठाते हुए चीनी वाणिज्य,दूतावास बंद करने का फैसला लिया है. बताया जा रहा है कि अमेरिका ने बुधवार को अचानक चीन से 72 घंटे के भीतर ह्यूस्टन स्थित अपना (चीनी) वाणिज्यदूतावास बंद करने के लिए कह दिया. दरअसल अमेरिका का आरोप है कि चीनी दूतावास में कुछ जरूरी दस्तावेज जलाए गए हैं.
बीजिंग में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के संपादक हू शिजिन ने सोशल मीडिया पर इसकी पुष्टि करते हुए कहा, 'अमेरिका ने चीन से 72 घंटों में ह्यूस्टन स्थित वाणिज्यदूतावास को बंद करने के लिए कहा है. यह एक पागलपन भरा कदम है.'
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वहीं अब इस मामले पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बयान भी सामने आया है. डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, 'मुझे आशंका थी कि वह दूतावाज में कुछ दस्तावेज और कागज जला रहे थे. जहां तक बाकी एंबेसियों को बंद करने की बात है तो ये भी मुमकिन है.'
दूसरी तरफ चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह कदम अमेरिका द्वारा एकतरफा शुरू किया गया है और 'अगर इस गलत निर्णय को वापस नहीं लिया गया तो बीजिंग इसका करारा जवाब देगा.'
न्यूयॉर्क पोस्ट के अनुसार, ह्यूस्टन पुलिस को सूचना मिली थी कि चीनी अधिकारी मंगलवार शाम वाणिज्यदूतावास में दस्तावेज जला रहे थे. एक न्यूज रिपोर्टर के वीडियो में वाणिज्यदूतावास के प्रांगण में कई लोग और आग लगे दस्तावेज और कई ट्रैश कैन नजर आए.
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न्यूयॉर्क पोस्ट ने कहा कि ह्यूस्टन के अग्निशमनकर्मी और पुलिस जब महावाणिज्यदूत कार्यालय पहुंचे तो उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया. हालांकि, चीन ने आरोप लगाया है कि अमेरिकी सिक्योरिटी ने उसके राजनयिक कर्मचारियों और छात्रों को परेशान किया और पर्सनल इलेक्ट्रिकल डिवाइस को जब्त कर लिया और उन्हें बिना किसी कारण के हिरासत में ले लिया.
विदेश मंत्रालय ने कहा, 'चीन इस तरह के अपमानजनक और अनुचित कदम की कड़ी निंदा करता है, जो चीन-अमेरिका संबंध बिगाड़ देगा. हम अमेरिका से अपने गलत फैसले को तुरंत वापस लेने का आग्रह करते हैं, अन्यथा चीन उचित और आवश्यक जवाब देगा.
(IANS से इनपुट)