अफगानिस्तान में अमेरिका ने पीछे हटाए कदम, पाकिस्तान पर भड़के US सांसद

अमेरिका ने अफगानिस्तान के साथ शांति स्थापित करने के कदम बढ़ा दिया हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की 11 सितंबर तक वापस बुलाने की घोषणा की है.

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Vineeta Mandal
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Pak PM Imran Khan

Pak PM Imran Khan( Photo Credit : फाइल फोटो)

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अमेरिका ने अफगानिस्तान के साथ शांति स्थापित करने के कदम बढ़ा दिया हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की 11 सितंबर तक वापस बुलाने की घोषणा की है. इसके अलावा नाटो ने भी अपने सैन्य बल को वापस बुलाने का निर्णय लिया है. बताया जा रहा है अमेरिका और अफगानिस्तान के बीच शांति स्थापित करने में पड़ोसी देश पाकिस्तान की महत्वपूर्ण भूमिका है. अगर ये जानकारी सच है तो यकीकन इन दिनों पाक देश के सितारे बुलंदी पर है. इस मामले पर अमेरिकी सीनेटर ने बताया कि भारत का ये पड़ोसी देश अपने दोनों हाथों से लड्डू खाता रहा है.

सीनियर अमेरिकी सांसद जैक रीड ने कहा कि पाकिस्तान दोनों तरफ से खेल खेलता रहा है. पाकिस्तान हमेशा पनाहगाह मुहैया कराता रहा है. यही कारण है कि अफगानिस्तान में तालिबान जड़ें मजबूत होती गई.

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सीनेट आर्म्ड सर्विस कमेटी के चेयरमैन जैक रीड ने गुरुवार को अमेरिकी संसद में कहा कि तालिबान के कामयाब होने में बहुत बड़ा योगदान इस तथ्य का है कि तालिबान को पाकिस्तान में मिल रही सुरक्षित पनाहगाह को खत्म करने में अमेरिका नाकाम रहा है. कहा जाता है कि पाकिस्तानी सेना अपने देश में अन्य मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए तालिबान का इस्तेमाल करती रही है. यही वजह से कि अमेरिकी सैनिकों की वापसी से ये आशंका जताई जा रही है कि तालिबान फिर सिर उठाएगा और इसका असर कश्मीर तक दिख सकता है.

उन्होंने अमेरिकी संसद में कहा कि तालिबान के सफल होने में बहुत बड़ा योगदान इस तथ्य का है कि तालिबान को पाकिस्तान में मिल रही सुरक्षित पनाहगाह को खत्म करने में अमेरिका विफल रहा है. हाल के एक अध्ययन का हवाला देते हुए रीड ने कहा कि पाकिस्तान में सुरक्षित अड्डा होने और इंटर सर्विसेस इंटेलिजेंस (आईएसआई) जैसे संगठनों के जरिए वहां की सरकार का समर्थन मिलने से तालिबान मजबूत होगा गया.

जैक रीड ने कहा कि हम पाकिस्तान में मौजूद तालिबान के सुरक्षित पनाहगाहों को नष्ट नहीं कर पाए, यही विफलता इस जंग में हमारी सबसे बड़ी गलती साबित हुई है. उन्होंने यह भी बताया कि जैसा कि अफगान स्टडी समूह (कांग्रेस के निर्देश के तहत कार्यरत) ने कहा कि आतंकवाद के लिए ये पनाहगाह जरूरी हैं. इसके अलावा पाकिस्तान की आईएसआई ने अवसरों का फायदा उठाने के लिए अमेरिका के साथ सहयोग करते हुए तालिबान की मदद की.

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