अमेरिका और ईरान के बीच विवाद अब चरम पर पहुंच गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और ने ईरान पर नए और सख्त प्रतबंध लगा दिए है. इस प्रतिबंध के तहत ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला खामनेई और दूसरे नेता अमेरिकी क्षेत्र में वित्तीय सुविधाओं का लाभ नहीं उठा पाएंगे. ट्रंप ने प्रतिबंध लगाने के आदेश पर हस्ताक्षर भी कर दिए हैं.
ट्रंप ने ईरान पर लगाए जाने वाले इस प्रतिबंध की घोषणा पहले ही कर दी थी. इससे पहले ट्रंप ने ये भी कहा था कि अगर ईरान परमाणु हथियार बनाने पर काम करना बंद कर दे, तो अमेरिका उसका सबसे अच्छा दोस्त बन सकता है.
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बता दें कि ईरान ने इस सप्ताह अमेरिका के एक ड्रोन को मार गिराया था. जिसके बाद ट्रंप ने जवाबी कार्रवाई में एक सैन्य हमले को मंजूरी दे दी थी लेकिन हमला करने से पहले ही उसे टाल दिया गया. इसके बाद ट्रंप ने कहा कि उन्होंने निर्धारित एक सैन्य हमले के प्लान को वापस ले लिया था, जब उन्हें पता चला था कि इसमें 150 व्यक्ति मारे जाएंगे. उन्होंने कैंप डेविड में वीकेंड के लिए रवाना होने से पहले मीडिया से कहा, ‘मैं 150 ईरानियों को नहीं मारना चाहता. मैं तब तक 150 लोगों या किसी को भी नहीं मारना चाहता जब तक ऐसा अत्यंत जरूरी न हो. ’
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वहीं दूसरी तरफ ईरान ने भी अमेरिका को चेतावनी देते हुए कहा है कि क्षेत्र में जो संघर्ष शुरू हुआ है, वह अनियंत्रित हो सकता है. इससे अमेरिकी सेना की जान खतरे में पड़ सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की घोषणा के बाद ईरानी सेना के वरिष्ठ कमांडर ने यह फैसला लिया है. इस दौरान अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने ईरान को सतर्क किया. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के फैसले को ईरान हल्के में न ले. बोल्टन ने कहा कि न ईरान को और न ही किसी अन्य शत्रु देश को अमेरिका की बुद्धि को कमजोरी समझने की भूल करनी चाहिए. बोल्टन ये बात इजरायल के पीएम बेंजमिन नेतन्याहू के साथ बैठक से पहले कही. बोल्टन ने कहा कि हम किसी से कम नहीं हैं. हमारी सेना किसी भी परिस्थिति से लड़ने को तैयार है.
HIGHLIGHTS
- डोनाल्ड ट्रंप ने लगाए ईरान पर कड़े प्रतिबंध
- अयातुल्ला खामनेई को नहीं मिलेगा अमेरिकी क्षेत्र में वित्तीय सुविधाओं का लाभ
- ट्रंप ने पहले ही की थी घोषणा