धार्मिक अजादी को मापने वाले अमरीकी पैनल 'यूएस कमिशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ़्रीडम' ने अपनी सूची में भारत का नाम नहीं शामिल किया है. भारत के नाम को जोड़ने का सुझाव मिलने के बावजूद बाइडेन सरकार ने भारत का नाम सूची में नहीं जोड़ा है, इस सूची में पाकिस्तान, चीन, तालिबान, ईरान, रूस, सऊदी अरब, एरिट्रिया, ताज़िकिस्तान, तुर्केमेनिस्तान और बर्मा समेत दस देशों को शामिल करा गया है. हर साल अमरीका ऐसे देशों और संगठनों को चिन्हित कर लिस्ट जारी करता है, जो अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के मानकों को पूरा नहीं करता है। इसके साथ अमरीका अल्जीरिया, कोमोरोस, क्यूबा और निकारागुआ को विशेष निगरानी सूची में शामिल किया गया है, जो धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघन से जुड़े हैं.
धार्मिक स्वतंत्रता पर काम करने वाले अमेरिकी कमिशन ने भारत को इस सूची में डालने का सुझाव दिया था. लेकिन बाइडेन प्रशासन भारत को अपना अहम साझेदार समझता है. चीन के मामले में भारत की अहमियत अमेरीका के लिए ज्यादा बढ़ गई है. बाइडेन प्रशासन के अनुसार उसकी विदेश नीति में मानवाधिकार केंद्र में रहेगा लेकिन उसे छोड़ने का यह एक और उदाहरण है.
'इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल ने भारत को सीपीसी सूची में न डालने को लेकर आपत्ति जताई है। उसे अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की आलोचना की है. इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल ने ट्वीट कर कहा है कि 'आईएएमसी ब्लिंकन के उस फ़ैसले की निंदा करता है, इसमें भारत को धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन वाली सीपीसी लिस्ट से बाहर रखा गया है जबकि कमिशन ने भारत को इस लिस्ट में डालने की सिफ़ारिश की थी.''
Source : News Nation Bureau