यूक्रेन (Ukraine) पर रूसी हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) ने तमाम तरह के प्रतिबंध रूस पर थोपे थे. अब उससे एक कदम आगे बढ़ते हुए बाइडन ने रूस (Russia) से सर्वाधिक तरजीह वाले देश (MFN) का दर्जा भी वापस ले लिया है. इसके साथ ही रूस से समुद्री खाद्य उत्पादों, शराब एवं हीरों के आयात पर भी रोक लगा दी है. बाइडन प्रशासन ने रूस से एमएफएन का दर्जा वापस लेने से पहले यूरोपीय संघ (EU) और जी-7 समूह को भी विश्वास में लिया है. इस कदम के बाद अमेरिका (America) और सहयोगी देश रूस से किए जाने वाले आयात पर भारी शुल्क लगा सकेंगे. इसके साथ ही रूसी सामानों पर प्रतिबंध लगाने और सेवाओं को देश से बाहर प्रतिबंधित करने के भी रास्ते खुल गए हैं.
एमएफएन दर्जा खत्म करने का यह होगा असर
बाइडन प्रशासन के इस कदम से अब अमेरिका और उसके सहयोगी देश रूस से होने वाले आयात पर भारी शुल्क लगा सकेंगे. यहां तक कि रूसी सामानों पर प्रतिबंध लगाने और सेवाओं को देश से बाहर प्रतिबंधित करने के भी रास्ते खुल जाएंगे. जाहिर बात है कि यूक्रेन पर रूसी हमले से बौखलाए अमेरिका और उसके सहयोगी देश रूस की अर्थव्यवस्था को कमजोर करना चाहते हैं. इसके अलावा अमेरिका ने रूस के केंद्रीय बैंक की संपत्ति को जब्त करने, निर्यात को सीमित करने समेत रूस के कुलीन वर्गों और उनके परिवारों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने का भी निर्णय किया है. गौरतलब है कि अमेरिका द्वारा पिछले एक महीने के दौरान लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों से रूस की मुद्रा रूबल डॉलर के मुकाबले 76 फीसदी गिर गई है.
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ऐसा होता है एमएफएन का दर्जा
गौरतलब है कि सर्वाधिक तरजीह वाले देश का दर्जा एक राष्ट्र द्वारा व्यापार में सहयोगी राष्ट्रों को दिया जाता है. मसलन इसके जरिये विश्व व्यापार संगठन के 164 सदस्य देश अन्य के साथ एकसमान व्यवहार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. यही वजह है कि जनरल एग्रीमेंट ऑन टैरिफ्स एंड ट्रेड के सदस्य देश एक दूसरे को सामानों पर सीमा शुल्क लगाने के मामले में 'फेवर्ड ट्रेडिंग पार्टनर्स' की नीति अमल में लाते हैं. जिस देश को एमएफएन का दर्जा दिया जाता है, उसे यह दर्जा देने वाला सहयोगी सहयोगी देश में व्यापार के मोर्चे पर वरीयता देता है. इसके साथ ही दोनों देशों के बीच कई सामनों का आयात-निर्यात भी बगैर किसी शुल्क के होता है.
HIGHLIGHTS
- EU और G-7 देशों के बाद जो बाइडन का फैसला
- रूसी मुद्रा रूबल के और कमजोर होने के आसार
- महंगा हो जाएगा आयात-निर्यात का शुल्क