अमेरिका (America) और तालिबान (Taliban) के बीच शांति समझौते (Peace Deal) को हुए अभी एक हफ्ता भी नहीं हुआ है और इस पर संकट के गंभीर बादल मंडराने लगे हैं. तालिबान द्वारा हमलों में 20 अफगान सैनिकों व पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद अमेरिका ने तालिबान पर हवाई हमले (Air Strike) किए हैं. अमेरिका ने कहा है कि उसने यह हमले अफगान बलों की सुरक्षा के लिए किए हैं. खास बात यह है कि अमेरिका के तालिबान पर हमले से कुछ ही घंटे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने तालिबान नेता मुल्ला बरदार से फोन पर बात की थी और बातचीत को 'बहुत बढ़िया' बताया था. अमेरिका ने तालिबान पर हवाई हमले हेलमंड प्रांत में किए.
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तालिबान के ठिकानों पर हवाई हमले
अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के प्रवक्ता सोनी लेगेट ने ट्वीट कर बताया कि हेलमंड प्रांत में उन तालिबानी लड़ाकों पर हवाई हमला किया गया है जो अफगान बलों की एक चेकपोस्ट पर हमले कर रहे थे. यह 'हमले को नाकाम बनाने के लिए की गई एक रक्षात्मक कार्रवाई थी. उन्होंने कहा, 'हम तालिबान से आग्रह कर रहे हैं कि वे अनावश्यक हमलों को रोकें और प्रतिबद्धताओं का पालन करें. जैसा कि हमने दिखा दिया है, हम जरूरत पड़ने पर अपने सहयोगियों का बचाव करेंगे.' उन्होंने कहा कि केवल मंगलवार को ही तालिबान ने 43 सुरक्षा चौकियों पर हमले किए.
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तालिबान ने पहले तोड़ा संघर्ष विराम
अफगान अधिकारियों ने बताया कि तालिबान के कई हमलों में कम से कम बीस अफगान सैनिक और पुलिसकर्मी मारे गए हैं. कुंदुज के इमाम साहिब जिले में बीती रात सैन्य चौकियों पर तालिबान ने कम से कम तीन हमले किए जिनमें दस सैनिक और चार पुलिसकर्मी मारे गए. तालिबान ने उरगुजान प्रांत में पुलिसकर्मियों पर हमले किए जिनमें छह पुलिसकर्मी मारे गए. अमेरिका के तालिबान पर हमले से पहले ट्रंप ने मंगलवार को वाशिंगटन में पत्रकारों से कहा, 'तालिबान के राजनैतिक प्रमुख मुल्ला बरदार से मेरे 'बहुत अच्छे संबंध' हैं. हमारे बीच एक लंबी बातचीत हुई है और आप जानते हैं वे हिंसा पर रोक चाहते हैं, वे हिंसा को रोकना भी चाहते हैं.'
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अमेरिका ने की समझौते को मानने की बात
बुधवार को अमेरिकी सेना के प्रवक्ता लेगेट ने कहा कि अफगान और अमेरिका तो समझौते का पालन कर रहे हैं, लेकिन ऐसा लग रहा है कि तालिबान इस अवसर को गंवाना चाह रहे हैं और लोगों की शांति की इच्छा की अनदेखी कर रहे हैं. कतर के दोहा में अमेरिका और तालिबान के बीच गत 29 फरवरी को समझौते पर दस्तखत हुए थे. इसमें तालिबान के कब्जे से एक हजार कैदियों की रिहाई और बदले में अफगानिस्तान सरकार द्वारा पांच हजार तालिबान बंदियों की रिहाई का प्रावधान है. अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी ने समझौते का तो स्वागत किया लेकिन कहा कि वह तालिबान बंदियों की रिहाई का वादा नहीं कर सकते. इसके बाद तालिबान ने कहा कि बंदियों की रिहाई नहीं होने पर वे अंतर-अफगान शांति वार्ता में हिस्सा नहीं लेंगे और वापस अपना सैन्य अभियान शुरू करेंगे.
HIGHLIGHTS
- हफ्ते भर में ही अमेरिका-तालिबान शांति समझौते पर संकट के गंभीर बादल.
- मंगलवार को ही तालिबान ने 43 सुरक्षा चौकियों पर हमले किए थे.
- जवाब में अमेरिकी सेना ने तालिबान के ठिकानों पर हवाई हमले किए.