अमेरिका (America) ने भारत से दोस्ती को एक अलग पड़ाव पर ले जाते हुए अब चीन (China) पर खुलेतौर पर प्रस्ताव पारित कर आरोप लगाया है कि कोरोना संक्रमण की आड़ में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) का मकसद भारत की जमीन पर कब्जा करने का ही था. अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा ने लद्दाख (Ladakh) गतिरोध को लेकर इस आशय का भारत (India) के समर्थन में प्रस्ताव पारित कर दिया है. सदन ने न सिर्फ इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से मंजूरी दी है, बल्कि यह भी माना है कि चीन उस इलाके में गैरकानूनी कब्ज़ा करने की फिराक में है. गौरतलब है कि लद्दाख की गलवान घाटी (Galwan Valley) में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद से ही अमेरिका ने खुलकर भारत का समर्थन करना शुरू कर दिया था.
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एनडीएए में संशोधन पारित
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम (एनडीएए) में संशोधन को सर्वसम्मति से पारित कर दिया. इसमें गलवान घाटी में भारत के खिलाफ चीन की आक्रामकता और दक्षिण चीन सागर जैसे विवादित क्षेत्रों में तथा आसपास में चीन की बढ़ती क्षेत्रीय दबंगई पर निशाना साधा गया है. प्रतिनिधि सभा ने चीन के विस्तारवादी रवैये पर भी चिंता जताई. इसमें कहा गया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी), दक्षिण चीन सागर, सेनकाकु द्वीप जैसे विवादित क्षेत्रों में चीन का विस्तार और आक्रामकता गहरी चिंता के विषय हैं.
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भारतवंशी सीनेटर लाए थे प्रस्ताव
भारतवंशी एमी बेरा और एक अन्य सांसद स्टीव शैबेट राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम (एनडीएए) में संशोधन का प्रस्ताव लाए थे. इस प्रस्ताव में कहा गया है कि चीन ने गलवान घाटी में आक्रामकता दिखाई है और उसने कोरोना पर ध्यान बंटाकर भारत के क्षेत्रों पर कब्जा करने की कोशिश की है. प्रस्ताव में कहा गया है कि चीन लद्दाख की तरह ही 13 लाख वर्ग मील दक्षिण चीन सागर के पूरे इलाके को गैरकानूनी तरीके से अपना बताता रहा है. जबकि इन इलाकों पर ब्रुनेई, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम भी दावा करते हैं. संसद में सांसद स्टीव शैबेट ने बयान दिया कि भारत एशिया प्रशांत में अमेरिका का एक अहम लोकतांत्रिक सहयोगी है. उन्होंने कहा, मैं भारत का समर्थन करता हूं. साथ ही उन क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ भी खड़ा हूं जो चीन की आक्रामकता का सामना कर रहे हैं.
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शैबेट ने कहा वह भारत के साथ
प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान अमेरिकी सांसद शैबेट ने कहा कि एलएसी पर 15 जून को 5000 चीनी सैनिक जमा थे. माना जा रहा है कि उनमें से कई ने 1962 की संधि का उल्लंघन कर विवादित क्षेत्र को पार कर लिया था. वे न सिर्फ भारतीय हिस्से में पहुंच गए बल्कि भारतीय सेना को उकसाया भी, हम चीन की आक्रामक गतिविधियों के खिलाफ भारत के साथ खड़े हैं. उधर भारतीय-अमेरिकी राजा कृष्णमूर्ति और 8 अन्य सांसद भी सदन में प्रस्ताव लाए हैं. इसमें कहा गया है कि चीन बल से नहीं, राजनयिक ढंग से सीमा पर तनाव कम करे. प्रस्ताव पर बुधवार को वोटिंग होगी. भारतीय राजदूत तरणजीत सिंह संधु ने भी ट्रंप प्रशासन को पत्र लिखकर लद्दाख मामले में चीनी अफसरों की शिकायत की है.
- HIGHLIGHTS
- अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में चीन के खिलाफ प्रस्ताव पारित.
- चीनी विस्तारवाद के खिलाफ भारत के साथ खड़ा है अमेरिका.
- लद्दाख समेत साउथ चाइना सी पर भी चीन कठघरे में खड़ा.