जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने शरणर्थियों संबंधी अपनी नीति का बचाव करते हुए कहा है कि हालांकि कट्टरपंथी इस्लामी यूरोप में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं, लेकिन उसके बावजूद वह मानती हैं कि 'इस्लाम जर्मनी का हिस्सा है।'
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, मर्केल ने आगामी संघीय चुनाव में सोशल डेमोकेट्रिक पार्टी (एसपीडी) अपने प्रमुख प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार मार्टिन शूल्ज के साथ रविवार को एक टीवी बहस में यह कहा।
मर्केल और शूल्ज दोनों को ही जर्मनी में मुस्लिम शरणार्थियों के आने पर कोई ऐतराज नहीं है, लेकिन मर्केल ने कहा कि 2015 के शरणार्थी संकट के कारण जर्मनी पर नए शरणार्थियों को समाज में जगह देने का कठिन दायित्व आ गया है।
मर्केल ने शरणार्थियों को लेकर अपनी नीति का बचाव किया और सीरिया में हिंसा जैसे संकटों का मुकाबला करने का आान किया।
उन्होंने साथ ही कहा, 'जिन लोगों को हमारे देश में रहने का अधिकार नहीं है, उन्हें देश छोड़कर चले जाना चाहिए। ऐसे कई लोगों को पहले ही प्रत्यर्पित किया जा चुका है।'
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मर्केल ने शरणार्थी और प्रवासन संकट सुलझाने में तुर्की, लीबिया और अन्य देशों से सहयोग की अपील की। उन्होंने साथ ही जर्मनी में शरण के लिए आए लोगों की सही प्रकार से जांच की बात भी की।
शूल्ज ने मर्केल की आलोचना करते हुए कहा कि मर्केल ने 2015 में शरणार्थी संकट की शुरुआत के समय इस मुद्दे पर यूरोपीय सहयोगियों के अनुरूप समर्थन नहीं किया।
हालांकि मर्केल ने 10 लाख से भी अधिक शरणार्थियों को जर्मनी में प्रवेश देने की अनुमति संबंधी अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि वह इसके विपरीत फैसला नहीं ले सकती थीं।
जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल का कहना है कि तुर्की को यूरोपीय संघ (ईयू) का सदस्य नहीं बनना चाहिए। मर्केल ने रविवार को सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसपीडी) के अपने प्रतिद्वंद्वी मार्टिन स्कलज के साथ टीवी बहस के दौरान कहा, 'मुझे नहीं लगता कि तुर्की यूरोपीय संघ में शामिल हो रहा है। मैंने कभी नहीं किया और यह एसपीडी के लिए भी अलग था।'
मर्केल का कहना है कि तुर्की के साथ बातचीत केवल ईयू देशों की सहमति के साथ ही निर्धारित हो सकती है। इसके साथ ही उन्होंने ने कहा, 'इस तरह के कदमों पर विचार किया जाना चाहिए।'
उन्होंने कहा कि वह जर्मनी के साथ तुर्की के संबंधों को तोड़ना और ईयू में तुर्की के शामिल होने के अवसर को समाप्त करना नहीं चाहती थी। तुर्की के लगभग 50 फीसदी लोगों को ईयू में शामिल होने की उम्मीद है। इस फैसले पर सावधानी से विचार करने की जरूरत है।
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Source : News Nation Bureau