पाकिस्तान (Pakistan) के राजनैतिक गलियारों में इमरान सरकार (Imran Khan) पर छाए अनिश्चितता के बादल चर्चा के केंद्र में बने हुए हैं. प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार को समर्थन दे रहे अन्य दलों के रुख ने तथा सैन्य प्रमुख के साथ लंबे समय बाद इमरान की मुलाकात में दोनों की भाव-भंगिमाओं और इसके तुरंत बाद इमरान के दो दिन की छुट्टी पर जाने से इन चर्चाओं को और बल मिला है.
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'जंग' ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सैन्य प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और प्रधानमंत्री इमरान खान की दो महीने बाद हुई मुलाकात पर राजनैतिक व रणनीतिक मामलों के पंडितों की गहरी नजर थी. इन्होंने इस बात को नोट किया कि मुलाकात के दौरान दोनों हस्तियों की 'बॉडी लैंग्वेज' में फर्क था और यह सहज नहीं थी. किसी की मुस्कराहट नहीं रुक रही थी और किसी की गंभीरता खत्म नहीं हो रही थी.
फिर, इस मुलाकात के बाद इमरान खान द्वारा अपने सभी सरकारी कामकाज को रोककर दो दिन की छुट्टी पर चले जाने ने भी लोगों का ध्यान खींचा. इमरान ने सत्ता संभालने के बाद बीते एक साल से ज्यादा समय में एक भी छुट्टी नहीं ली है. उन्हें जानने वाले बताते हैं कि जितनी देर वह जागते रहते हैं, आधिकारिक कामकाज में ही लगे रहते हैं. किसी छुट्टी की कोई पूर्व योजना भी नहीं थी.
अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह अचानक छुट्टी लोगों के बीच चर्चा में है. सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने लिखा कि इमरान खान को भी अपने परिवार के साथ कभी तो समय बिताने का वक्त मिले, जबकि उनके कुछ राजनैतिक विरोधियों ने लिखा कि 'मिस्टर प्राइममिनिस्टर, इन्हीं दो दिनों में यह प्लान बना लीजिएगा कि अब आपको जो लंबी छुट्टी मिलने वाली है, वह आप कहां बिताएंगे.'
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सैन्य प्रमुख और इमरान की मुलाकात इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि दोनों के बीच लंबे अर्से तक कोई मुलाकात नहीं हुई. साथ ही देश में महंगाई के कारण हालात अव्यवस्था जैसी स्थिति का शिकार हैं और विपक्षी दल इमरान के इस्तीफे की मांग के साथ पूरे देश में आंदोलन कर रहे हैं. 'द न्यूज' की रिपोर्ट के अनुसार, इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीके इंसाफ पार्टी की सरकार के बने रहने को लेकर चर्चाओं का बाजार सरकार के समर्थक दलों के बदले रवैये से भी गर्म हुआ है.
सरकार में भागीदार मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान के वरिष्ठ नेता ख्वाजा इजाहरुल हसन ने आशंका जताई है कि अगर इमरान सरकार ने अर्थव्यवस्था की स्थिति नहीं सुधारी तो ऐसा लग नहीं रहा है कि यह अगले बजट तक चल पाएगी. इससे पहले सरकार की सहयोगी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-कायद के शीर्ष नेता भी सार्वजनिक रूप से सरकार की नीतियों से असहमति जता चुके हैं.
पार्टी के नेताओं का कहना है कि स्थितियां बद से बदतर हुई हैं. पार्टी के नेता चौधरी शुजात हुसैन ने हाल ही में कहा था कि महंगाई और बेरोजगारी को जो हाल है, उसकी वजह से अगले तीन से छह महीने के बीच कोई भी नेता पाकिस्तान का प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहेगा. मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान के सात और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-कायद के पांच सांसद इमरान सरकार को समर्थन दे रहे हैं और सरकार के बने रहने में इनका समर्थन बड़ी भूमिका निभा रहा है.