पाकिस्तान की संसद में अविश्वास प्रस्ताव खारिज होने के बाद से लगातार सियासी उठापटक जारी है. इस बीच पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने रविवार को इमरान खान की सलाह पर नेशनल एसेंबली को भंग कर दिया है. इस पर विपक्ष का कहना है कि यह घटनाक्रम पूरी तरह से गैरकानूनी है. विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति आरिफ अल्वी द्वारा नेशनल असेंबली भंग करने का स्वत: संज्ञान लिया है. गौरतलब है कि इमरान खान ने अविश्वास प्रस्ताव खारिज होने के बाद चुनाव कराने की सलाह दी है. सूचना प्रसारण मंत्री फारुख हबीब ने बताया कि प्रधानमंत्री की सलाह मानते हुए राष्ट्रपति अल्वी ने
नेशनल एसेंबली को भंग कर दिया है. उन्होंने कहा कि 90 दिनों के अंदर चुनाव कराए जाएं.
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इस दौरान पाकिस्तानी सेना ने इस घटनाक्रम से दूरी बनाई रखी है. इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस के महानिदेशक बाबर इफ्तिखार ने आज दोपहर पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के विघटन पर एक सवाल के जवाब में कहा, "बिल्कुल नहीं. आज जो कुछ भी हुआ, उसमें सेना की कोई भूमिका नहीं है." ऐसा कहा जा रहा है कि इमरान खान को सेना का सपोर्ट मिलने के कारण नेशनल एसेंबली को भंग कर दिया गया. वहीं पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 101 के तहत राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने प्रधानमंत्री की सलाह पर कार्रवाई करते हुए मोहम्मद सरवर को पंजाब के राज्यपाल के पद से हटाने और उमर सरफराज चीमा को पंजाब का राज्यपाल नियुक्त करने की मंजूरी दे दी है.
"Absolutely not. Whatever happened today, Army has no role in it," said Babar Iftikhar, Director-General of Inter-Services Public Relations, in response to a question on Dissolution of National Assembly of Pakistan, this afternoon
— ANI (@ANI) April 3, 2022
(Source: Geo News, Pakistan ) pic.twitter.com/WSfsbCfdij
अनच्छेद-5 का हवाला देकर डिप्टी स्पीकर ने बदला गेम
पाकिस्तान के पीएम इमरान खान के खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव पर लगभग 40 मिनट की देरी से बहस शुरू हुई. पाकिस्तान नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा शुरू होते ही इमरान सरकार के मंत्री चौधरी फवाद ने सरकार का पक्ष रखा. इस दौरान डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव संविधान के अनुच्छेद 5 के खिलाफ है और इसे खारिज किया जाता है. कासिम सूरी का कहना था किसी भी बाहरी ताकत को पाकिस्तान में दखल देने का हक नहीं है.
HIGHLIGHTS
- प्रधानमंत्री की सलाह मानते हुए राष्ट्रपति अल्वी ने नेशनल एसेंबली को भंग कर दिया है
- विपक्ष का कहना है कि यह घटनाक्रम पूरी तरह से गैरकानूनी है