Ban on Hamas: इजरायल और हमास के बीच जंग जारी है. इस युद्ध को अब एक महीना हो चुका है. लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है. वहीं अब फिलिस्तीन के आंतकी सगंठन के खिलाफ एक्शन की मांग दुनियाभर से की जा रही है. दूसरी ओर मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में हमास को बैन करने की कोई योजना नहीं है. वहीं खुफिया एजेंसी का मानना है कि हमास युवाओं बरगला रहा है, उन्हें कटरपंथ की दलदल में धकेल रहा है. वहीं हमास इसे "जिहाद की जीत" कहता है. ये सुरक्षाबलों के लिए चिंता का विषय बन गया है.
खुफिया एजेंसियों की चिंता
जिस तरह से भारत के अल्पसंख्यक इजरायल फिलिस्तीन जंग और हमास के हमलों के बीच फर्क करने में असमर्थ रह रहे हैं वो चिंता का विषय है. उनको नहीं पता है कि इसका असर क्या होगा. वहीं भारत इस मामले पर नजर बनाए हुए है. वहीं अल्पसंख्यक समुदाय भी इस पर कुछ भी बोलने से बच रहा है. खुफिया एजेंसी का मानना है कि फिलिस्तीनी संगठनों ने इजरायल के मुद्दे पर काम किया है और युवाओं के मन में गंभीर असर पैदा किया है. एजेंसियों के लिए टेंशन की बात ये कि इजरायल में हमला बाहर से किया गया लेकिन अगर ऐसा भारत में होगा तो इसका परिणाम बहुत ही खराब हो सकते हैं. उनका कहना है कि हमारे देश में चरमपंथी संगठन और पाकिस्तान के पाले हुए आतंकी मौजूद हैं जिनके पास पाकिस्तानी हथियार भी है.
बैन न होने का पहला कारण
देखा जाए तो भारत में फिलिस्तीन के समर्थन में कई मस्जिदों में नमाज और कई कार्यक्रम किए गए.. लेकिन किसी ने भी ये नहीं कहा कि 7 अक्टूबर को हमास द्वारा किया गया हमला मानवता के खिलाफ था. इसका किसी अल्पसंख्यक संगठन ने विरोध नहीं किया. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार फिलहाल हमास पर बैन लगाने के बारे में कोई विचार नहीं की है. इसकी वजह है संयुक्त राष्ट्र संगठन के द्वारा इस पर बैन न लगना. अगर ऐसा होता है तो भारत इसका पालन करने के बारे में सोचेगा.
दूसरा कारण
इसका दूसरा कारण ये है कि हमास के द्वारा भारत में किसी भी तरह का कोई घटना नहीं की गई है. हमास यहां फंडिंग, भर्ती और संचालन जैसे एक्टविटी नहीं करता है. जिसकी वजह से ये भारत के कानूनी दायरे के बाहर है. भारत में किसी संगठन या व्यक्ति को यूएपीए के तहत बैन किया जाता है. भारत ने फिलहाल पीएफआई को 5 साल के लिए बैन किया है.
Source : News Nation Bureau