आतंकवादी समूहों के लिए दुनिया के सबसे 'सुरक्षित पनाहगाह' पाकिस्तान (Pakistan) ने आतंकी सरगनाओं के बैंक खातों में फिर से बहाल कर दिया है. पाकिस्तान ने आतंकी हाफिज सईद (Hafiz Saeed) के अलावा जमात-उद-दावा और लश्कर-ए-तैयबा के पांच नेताओं के बैंक खाते वापस शुरू कर दिए हैं. मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की कमेटी की मंजूरी के बाद यह उठाया है.
यह भी पढ़ें: जम्मू-कश्मीर : सोपोर एनकाउंटर में सुरक्षाबलों ने एक आतंकी को ढेर किया, ऑपरेशन जारी
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जिन आतंकी सरगनाओं के बैंक खातों को फिर से बहाल किया गया है, उनमें आतंकवादी सरगना हाफिज सईद के अलावा जमात-उद-दावा नेता अब्दुल सलाम भुट्टावी, हाजी एम अशरफ, याह्या मुजाहिद और जफर इकबाल शामिल हैं. पाकिस्तान ने जिन आतंकी आकाओं के खातों को शुरु करने का फैसला लिया है, वह सभी यूएनएससी के सूचीबद्ध आतंकवादी हैं और सभी आतंकी फंडिंग के केस में 1 से 5 साल तक जेल की सजा काट रहे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, अपने परिवार के गुजर बसर का हवाला देते हुए इन आतंकियों ने संयुक्त राष्ट्र से अपील की थी कि उसके बैंक अकाउंट खोल दिए जाएं.
ज्ञात हो कि पिछले महीने ही आतंकवाद को धन उपलब्ध होने पर नजर रखने वाली वैश्विक संस्था एफएटीएफ ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद को धन उपलब्ध होने पर अंकुश लगाने में विफल रहने पर पाकिस्तान को 'ग्रे सूची' में रखने का निर्णय लिया था. घटनाक्रम से जुड़े एक अधिकारी ने बताया था एफएटीएफ ने अक्टूबर में होने वाली अगली बैठक तक पाकिस्तान को 'ग्रे सूची' में रखने का निर्णय लिया. अधिकारी ने कहा था कि एफएटीएफ को यह लगता है कि पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों को धन उपलब्ध होने पर अंकुश लगाने में विफल रहा, इसलिए यह फैसला लिया गया.
यह भी पढ़ें: चीन को मोदी सरकार देने जा रही गहरा घाव, ताइवान में भारतीय राजनयिक की होगी नियुक्ति
उधर, अमेरिका भी यह मानता है कि पाकिस्तान अब भी क्षेत्र में सक्रिय आतंकवादी समूहों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बना हुआ है. आतंकवाद पर अमेरिका की संसदीय-अधिकार प्राप्त समिति की वार्षिक रिपोर्ट 2019 में विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के वित्त पोषण के तीन अलग मामलों में लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद को दोषी ठहराने समेत कुछ बाह्य केंद्रित समूहों के खिलाफ कार्रवाई की. मंत्रालय ने कहा था कि हालांकि पाकिस्तान क्षेत्र में केंद्रित अन्य आतंकवादी संगठनों के लिये सुरक्षित पनाहगाह बना हुआ है.
रिपोर्ट में कहा गया था कि वह अफगान तालिबान और संबद्ध हक्कानी नेटवर्क को अपनी जमीन से संचालन की इजाजत देता है जो अफगानिस्तान को निशाना बनाते हैं, इसी तरह वो भारत को निशाना बनाने वाले लश्कर-ए-तैयबा और उससे संबद्ध अग्रिम संगठनों और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों को अपनी जमीन का इस्तेमाल करने देता है. रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान और पाकिस्तान में यद्यपि अलकायदा का प्रभाव काफी हद तक कम हुआ है, लेकिन संगठन के वैश्विक नेताओं और उससे संबद्ध भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा (एक्यूआईएस) लगातार उन सुदूरवर्ती इलाकों से अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं जो ऐतिहासिक रूप से उनके सुरक्षित पनाहगाह के तौर पर काम करते रहे हैं.