पाकिस्तान (Pakistan) के लिए हर नया दिन उसके अस्तित्व पर छाए काले बादलों को और भी घना करता जा रहा है. चीन के कर्ज मकड़जाल में फंस पाकिस्तान गिलगित-बाल्टिस्तान से लगभग हाथ धोने की कगार पर आ पहुंचा है. दूसरी तरफ महंगाई आसमान छू रही है और 35 दिनों में चौथी बार पेट्रोल के दाम बढ़े हैं. अब पाकिस्तान में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 248 रुपए हो गई है. राजनीतिक संकट तो खैर उसकी नियति बन ही चुका है, लेकिन तमाम दुश्वारियों के बीच कंगाली की कगार पर खड़ा पाकिस्तान अब दुनिया भर के लिए कूड़ेदान भी बन गया है. यह बात जानकर पाकिस्तान में जलवायु परिवर्तन (Climate Change) पर सीनेट की स्थायी समिति भी हैरान है. आंकड़े बताते हैं कि पाकिस्तान में हर साल 3 करोड़ टन कचरा पैदा होता है. इसके बावजूद 80 हजार टन कचरा विदेशों से इंपोर्ट किया जा रहा है. जाहिर है कचरे की यह मात्रा पर्यावरण और स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है.
ये हैं कचरा आयात करने वाले शीर्ष 10 देश
जलवायु परिवर्तन पर सीनेट की स्थाई समिति पाकिस्तान को कचरे का निर्यात करने वाले शीर्ष दस देशों के नाम देखकर हैरान है. इसमें संयुक्त अरब अमीरात जैसे उन देशों के भी नाम भी हैं, जिन्हें पाकिस्तान अपना दोस्त और हितैषी समझता है. पाकिस्तान को कूड़ेदान समझ अपने देश का कचरा 'फेंकने' वाले शीर्ष देशों में ब्रिटेन, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, अमेरिका, बेल्जियम, जर्मनी, स्पेन, कनाडा और इटली शामिल प्रमुख हैं. पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक यह जानकर भी कम आश्चर्य नहीं होगा कि पाकिस्तान के अधिकांश सीनेटरों को इसका इल्म भी नहीं है कि उनका देश दुनिया भर के लिए कूड़ेदान में तब्दील हो चुका है. समिति को इस बात पर भी हैरानी है कि 'इपोर्टेड वेस्ट' को लेकर कभी किसी ने आपत्ति क्यों नहीं दर्ज कराई.
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'इंपोर्टेड सरकार' के बाद 'इपोर्टेड वेस्ट'
पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक 'इपोर्टेड वेस्ट' शब्द जानकर जलवायु परिवर्तन पर बनी समिति भी हैरान है. इसकी एक बड़ी वजह यह है कि सत्ता से हटाए गए इमरान खान ने शहबाज शरीफ की सरकार को 'इंपोर्टेड सरकार' बताया था. इमरान का आरोप है कि उनकी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए विदेशी शक्तियों ने मदद की इसीलिए वह इसे 'इंपोर्टेड सरकार' ही मानते हैं. अब जलवायु परिवर्तन पर सीनेट की स्थायी समिति को 'इंपोर्टेड सरकार' के बाद 'इपोर्टेड वेस्ट' शब्द पर हैरान-परेशान है. समिति के सदस्यों के जेहन में पहला सवाल यही आया है कि अब तक पाकिस्तान के हुक्मरानों ने 'इपोर्टेड वेस्ट' को लेकर आपत्ति क्यों नहीं जताई? समिति के कुछ सदस्यों का मानना है कि विभिन्न देशों में स्थित पाकिस्तान के दूतावासों, पाकिस्तान सरकार के तमाम मंत्रालयों, विभागों और राष्ट्रीय और संघीय सरकारों ने 'इपोर्टेड वेस्ट' को रोकने की कोशिश क्यों नहीं की? समिति को यह जानकर और भी हैरानी हो रही है कि अधिकांश सीनेटरों को यह पता ही नहीं था कि पाकिस्तान विकसित देशों के लिए कूड़ाघर बन चुका है. उन देशों का भी जो जलवायु परिवर्तन के लिए पाकिस्तान को भी दोष देने से नहीं चूकते हैं.
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इस तरह कंगाल पाकिस्तान बना कूड़ेदान
समिति के सदस्यों ने इस बात बेहद आपत्ति जताई है कि 'इपोर्टेड वेस्ट' से लोगों के सार्वजनिक स्वास्थ्य और परिस्थितिकी पर गहरा असर पड़ा है. समिति को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार पाकिस्तान में वार्षिक स्तर पर 30 मिलियन टन (3 करोड़ टन) कचरा पैदा होता है, जबकि वार्षिक स्तर पर ही पाकिस्तान 80 हजार टन कचरा आयात करता है. कचरे की यह मात्रा लोगों के स्वास्थ्य पर तो सीधा असर डाल ही रही है, साथ ही भूमिगत जल स्रोत और सतही जल स्रोत को प्रदूषित भी कर रही है. पाकिस्तान रूपी कूड़ेदान में सबसे ज्यादा कचरा ब्रिटेन से आता है, जो लगभग 38 हजार टन है. ईरान से 25 हजार टन, संयुक्त अरब अमीरात से 14 हजार टन और सऊदी से 13.5 हजार टन से ज्यादा कचरा पाकिस्तान में आयात होता है. जाहिर है कंगाल पाकिस्तान अब दुनिया के लिए एक बड़ा कूड़ेदान भी बन गया है.
HIGHLIGHTS
- पाकिस्तान में 30 मिलियन टन कचरा हर साल होता है पैदा
- इसके बावजूद प्रति वर्ष 80 हजार टन कचरा हो रहा है आयात
- रोचक बात यह कि अधिकांश सीनेटरों को इसकी जानकारी नहीं