बीजिंग में भारत के राजदूत विक्रम मिश्री ने कहा कि भारत चीन के बेल्ट एंड रोड पहल का हिस्सा नहीं हो सकता है, क्योंकि इसमें इसकी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के अहम सरोकारों को नजरंदाज किया गया है. बीजिंग अप्रैल में दूसरे बेल्ट एंड रोड फोरम का आयोजन करने वाला है. चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिश्री ने चीन की सरकारी मीडिया को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि नई दिल्ली कार्यक्रम का विरोध करते हुए दूसरी बार इससे अलग रहेगा.
चीन की बेल्ट एंड रोड पहल का मकसद सड़कों, राजमार्गो, समुद्री मार्गो, व पत्तनों के विशाल नेटवर्क के जरिए यूरोप, एशिया और अफ्रीका को जोड़ना है. इसकी अहम परियोजनाओं में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) भी शामिल है, जो जम्मू-कश्मीर से गुजरता है.
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नई दिल्ली ने 2017 में यह कहते हुए बेल्ट एंड रोड फोरम में हिस्सा नहीं लिया था कि इससे उसकी क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन होता है. चीन के ग्लोबल टाइम्स से बातचीत में मिश्री ने भारत का रुख स्पष्ट किया. उनसे पूछा गया था कि नई दिल्ली ने बेल्ट एंड रोड पहल की संकल्पना को जटिल क्यों बना दिया है.
उन्होंने कहा, "सही बात यह है कि हमरा कोई गुप्त नजरिया नहीं है और बीआरआई पर हमारा रुख स्पष्ट व एकनिष्ठ है और हमने संबंधित प्राधिकरणों को इस संबंध में बता दिया है." मिश्री ने कहा, "भारत संपर्क मजबूत करने के लिए वैश्विक आकांक्षा को साझा करता है और यह हमारे आर्थिक व कूटनीतिक पहलों का अभिन्न हिस्सा है." उन्होंने कहा, "हम खुद अपने क्षेत्र और उससे बाहर संपर्क की कई परियोजनाओं पर कई देशों व अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के साथ काम कर रहे हैं."
उन्होंने कहा, "हालांकि हमारा मानना है कि संपर्क परियोजनाएं अवश्य अंतर्राष्ट्रीय मानकों, सुशासन व नियमों के आधार पर सार्वभौमिक रूप से मान्य हों."
Source : IANS