जम्मू-कश्मीर को लेकर दुनिया भर में हायतौबा मचाने वाले पाकिस्तान को एक और बड़ा झटका लगा है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता कर रहे देश पोलैंड ने स्पष्ट कर दिया है कि कश्मीर विवाद को द्विपक्षीय रूप से हल किया जाना चाहिए. कश्मीर पर पोलैंड का रुख इस्लामाबाद के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. पाकिस्तान लंबे समय से कश्मीर मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की कोशिश में है, लेकिन दुनिया भर में भारत की सक्रिय कूटनीति के चलते उसकी सारी कोशिशें फेल नजर आ रही हैं.
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इससे पहले शनिवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी देश रूस ने भी कहा था कि भारत का कदम भारतीय गणराज्य के संविधान के दायरे में ही उठाया गया है. विदेश मंत्री जयशंकर ने पोलिश विदेश मंत्री जेसेक जापुतोविक्ज से गुरुवार को फोन पर बातचीत की थी. 'द इंडियन एक्सप्रेस' से बातचीत करते हुए भारत में पोलैंड के राजदूत एडम बुराकोव्सकी ने कहा, पोलैंड को उम्मीद है कि दोनों देश मिलकर द्विपक्षीय स्तर पर समाधान निकाल लेंगे.
राजदूत बुराकोव्सकी ने दोनों देशों के बीच तनाव पर चिंता जताते हुए कहा- पोलैंड का मानना है कि किसी भी विवाद का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से ही किया जा सकता है. यूरोपीय यूनियन की तरह हम भी भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता के पक्षधर हैं. पोलिश राजदूत ने कहा, मैं 'द्विपक्षीय' शब्द पर फिर से जोर देना चाहता हूं क्योंकि यही सबसे अहम है.
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पोलैंड का ये बयान भारत के पक्ष में है. भारत हमेशा से कहता आ रहा है कि 'शिमला समझौता 1972' और 'लाहौर घोषणा पत्र, 1999' के तहत कश्मीर मुद्दे को भारत-पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय तौर पर ही सुलझाया जाना चाहिए.
बताया जा रहा है कि पोलैंड की प्रतिक्रिया ऐसे समय आई है, जब 8 अगस्त को विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पोलैंड के विदेश मंत्री के बीच बातचीत काफी अहम रही थी. विदेश मंत्री जयशंकर ने पोलैंड को जम्मू-कश्मीर के बदले स्टेटस को लेकर भारतीय चिंताओं से अवगत कराया. जयशंकर ने उन्हें बताया था कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत बदलाव सख्त तौर पर भारत का आंतरिक मामला है और इसका मकसद आतंकी हमलों के खतरे से घिरे क्षेत्र में सुरक्षा लाना है.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो