यूक्रेन पर रूसी हमले के साथ ही विश्व बिरादरी ने रूस पर लगाम लगाने के इरादे से प्रतिबंधों की बौछार कर दी है. इसके साथ ही अमेरिका और ब्रिटेन समेत कई और देशों ने और भी कड़े प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी है. इन प्रतिबंधों के चलते भारत और रूस के बीच रक्षा समझौतों पर भी असर होने की आशंका जताई जा रही है. हालांकि, रूस ने साफ कर दिया है कि प्रतिबंधों का भारत और रूस के रिश्तों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. भारत में रूस के राजनयिक रोमन बाबुश्किन (Roman Babushkin) ने कहा है कि भारत और रूस के संबंध मजबूत और ठोस नींव पर आधारित हैं. उन्होंने कहा कि भारत और रूस में समानता ये है कि हम दोनों एक-दूसरे को एकतरफा प्रतिबंधों पर धमकाते नहीं हैं और न ही एक-दूसरे के घरेलू मामलों में दखल ही देते हैं.
उन्होंने पश्चिमी शक्तियों पर दुनिया में अस्थिरता पैदा करने का आरोप लगाया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि रूस अगले महीने गुजरात में आयोजित होने वाले डिफेंस एक्सपो में भी हिस्सा लेगा. ये पूछे जाने पर कि पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का S-400 मिसाइल सिस्टम की भारत को होने वाली डिलीवरी पर कितना असर होगा? तो इसके जवाब में बाबुश्किन ने सीधा जवाब देने से बचते हुए कहा कि कि प्रोजेक्ट जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि हम रक्षा समेत सारे मुद्दों पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के नकारात्मक असर पर नजर बनाए हुए हैं. गौरतलब है कि भारत और रूस के बीच S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने की डील हुई है. इसकी डिलीवरी शुरू भी हो गई है.
रूस ने की भारत की सराहना
भारत में रूस के राजनयिक रोमन बाबुश्किन (Roman Babushkin) ने भारत की सराहना की. उन्होंने कहा कि वैश्विक शक्ति के रूप में भारत एक अहम भूमिका अदा कर रहा है. उन्होंने ये भी कहा कि मौजूदा तनाव का असर भारत और रूस के संबंधों पर नहीं होगा और अगले महीने गुजरात में होने वाले डिफेंस एक्स्पो में रूस की बड़ी भागीदारी होगी. इसके साथ ही बाबुश्किन (Babushkin) ने रूस-यूक्रेन तनाव पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत के स्टैंड का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि बात जब भारत की आती है तो हमारे बीच बहुत मजबूत और भरोसेमंद सहयोगी है. हम इंडियन पार्टनर के साथ लगातार काम करते रहेंगे. हमारे बड़े प्लान हैं और हमें उम्मीद है कि हमारी साझेदारी इसी तरह चलती रहेगी.
विवाद के लिए पश्चिमी देश जिम्मेदार
यूक्रेन के साथ रूसे के मौजूदा विवाद के लिए उन्होंने पश्चिमी देशों को जिम्मेदार ठहराया . उन्होंने दावा किया कि NATO अस्थिरता पैदा कर रहा है और पश्चिमी देश रूस पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं. -उन्होंने आरोप लगाया कि 2014 से यूक्रेन को 'बाहरी ताकत' नियंत्रित कर रही हैं और तब से ही अमेरिका हजारों टन मिलिट्री इक्विपमेंट भेज रहा है. उन्होंने कहा कि रूस हमेशा बातचीत की पैरवी करता रहा है क्योंकि हम तनाव का शांतिपूर्ण हल चाहते हैं. उन्होंने कहा कि प्रतिबंधों से वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी. उन्होंने माना कि प्रतिबंधों का रूस की अर्थव्यवस्था और बैंकिंग सिस्टम पर नकारात्मक असर पड़ेगा. साथ ही इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था भी अस्थिर होगी, क्योंकि इससे वो 'डर' और 'अविश्वास' का माहौल पैदा करेंगे. गौरतलब है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने सोमवार को पूर्वी यूक्रेन के डोनेत्स्क (Donetsk) और लुहंस्क (Luhansk) को एक स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता दे दी थी.. इसके बाद UNSC में हुई आपातकालीन बैठक में भारत ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की थी.
इसलिए लगाए जाते हैं प्रतिबंध
कूटनीतिक शब्दावली में प्रतिबंध शब्द का इस्तेमाल उस वक्त होता है, जब कोई देश किसी दूसरे देश के हमलावर तेवरों को रोकने या अंतरराष्ट्रीय कानून तोड़ने के आरोप में उसके खिलाफ कार्रवाई करता है. इन प्रतिबंधों का मकसद किसी देश की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाना होता है. प्रतिबंध के तहत किसी देश के वित्तीय कारोबार, नागरिक, शीर्ष नेताओं को बाधा पहुंचाने जैसे कदम उठाए जाते हैं. इन देशों पर यात्रा संबधी रोक लगाई जा सकती है. हथियारों की सप्लाई या खरीद-फरोख्त के साथ ही दूसरे नागरिक उत्पादों के खरीद-फरोख्त पर भी प्रतिबंध लगाए जाते हैं. संयुक्त राष्ट्र की ओर से कोई प्रतिबंध लगाए जाने पर सभी सदस्य देशों को इसका पालन करना पड़ता है. प्रतिबंधों से अर्थव्यवस्था बर्बाद होने और देश में गरीबी बढ़ने से प्रतिबंध झेलने वाले देश के शीर्ष नेतृत्व के तेवर ढीले पड़ जाते हैं और वह वैश्विक कानूनों को मानने के लिए बाध्य हो जाता है.
यूक्रेन-रूस के बीच छिड़ चुकी है जंग
रूस और यूक्रेन के बीच जारी तनाव गुरुवार को रूसी राष्ट्रपति पुतिन के आदेश के बाद युद्ध में तब्दील हो गया. इसके साथ ही यूक्रेन पर रूसी सेना ने चौतरफा हमले शुरू कर दिए हैं. यूक्रेन की राजधानी कीव समेत अलग-अलग हिस्सों में धमाके सुने गए हैं. बताया जाता है कि रूस ने यूक्रेन पर क्रूज और बैलेस्टिक मिसाइलों से हमला किया है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हमले का आदेश देने के साथ ही खून खराबा से बचने के लिए यूक्रेनी सेना से हथियार डालने की अपील की. पुतिन ने कहा है कि यूक्रेन पर कब्जे का हमारा कोई इरादा नहीं है. उन्होंने कहा कि यूक्रेन के नहीं मानने की हालत में हमारे पास हमले के सिवा कोई विकल्प भी नहीं था. रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ सैन्य ऑपरेशन का ऐलान करने के साथ ही विश्व की बड़ी शक्तियों को बड़ी धमकी भी दी है. अपने बयान में पुतिन ने कहा है कि बाहर से जो कोई भी इसमें (Russia-Ukraine war) दखल देना चाहता है, अगर वह ऐसा करता है तो उसे ऐसे परिणाम भुगतने होंगे, जो उसने इतिहास में पहले कभी नहीं भुगतने होंगे. पुतिन ने कहा कि सभी जरूरी फैसले ले लिए गए हैं. आशा है आपने मुझे सुन लिया होगा.' अपनी आपातकालीन स्पीच में पुतिन ने कहा कि यह विवाद हमारे लिए जीने मरने का सवाल है. रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि यूक्रेन (Ukraine) लाल रेखा को पार गया था. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यूक्रेन नियो-नाजी का समर्थन कर रहा है, इसलिए हमने विशेष मिलिट्री ऑपरेशन शुरू किया है.
HIGHLIGHTS
- रूस ने कहा भारत से संबंधों पर नहीं पड़ेगा असर
- प्रतिबंध के बाद भी डिफेंस एक्सपो में हिस्सा लेगा रूस
- रूसी राजदूत ने सुरक्षा परिषद में भारत के रुख को सराहा