पाकिस्तान की गलतफहमी अब धीरे-धीरे दूर हो रही है. इस्लाम के नाम पर तालिबान लड़ाकों को हर स्तर पर मदद करने वाली पाकिस्तान सरकार की बोलती बंद है.अमेरिका से साथ मिलकर आतंक के विरोध में लड़ाई लड़ने वाला पाकिस्तान चुपके-चुपके इस्लाम के नाम पर तालिबान की मदद करता रहा. पाकिस्तान की मंशा यह थी कि अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद वहां शारिया लागू कर इस्लाम को मजबूत किया जायेगा. लेकिन इमरान और तालिबान के बीच सीमा विवाद खड़ा हो गया है. जो तथाकथित इस्लामिक एकता को तार-तार कर दिया है. सत्ता में आने के बाद अब तालिबान लड़ाकों को भी महसूस होने लगा कि इस्लाम की सीमा और देश की सीमा दो अलग-अलग चीज हैं, दोनों को मिलाकर शासन नहीं किया जा सकता है.
इसी को देखते हुए डूरंड रेखा पर पाकिस्तान सरकार द्वारा की जा रही बाड़बंदी से तालिबान सख्त नाराज है. तालिबान ने कहा है कि पाकिस्तान को डूरंड रेखा के आसपास किसी भी प्रकार की बाड़बंदी नहीं करने दी जाएगी. तालिबान कमांडर मौलवी सनाउल्ला संगीन ने बुधवार को कहा, 'हम कभी, किसी भी तरीके की बाड़बंदी की अनुमति नहीं देंगे. पाकिस्तान ने पहले जो भी किया, वह कर लिया. अब कोई बाड़बंदी नहीं होगी.' संगीन का यह बयान तब आया है जब पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने इस हफ्ते की शुरुआत में कहा था कि मामले का कूटनीतिक माध्यम से शांतिपूर्ण हल निकाल लिया जाएगा.
यह भी पढ़ें: चीनी सेना के झंडा फहराने का सच आया सामने, भारतीय जवानों ने भी लहराया तिरंगा
सनाउल्ला ने यह भी कहा कि पाकिस्तानी सेना कूनार प्रांत में लंबे समय से हमले करती रही है, लेकिन अब अफगानिस्तान उसका मुंहतोड़ जवाब देने लगा है. पिछले दिनों पाकिस्तानी सैनिकों ने कुछ मोर्टार दागे थे, जवाब में हमने 32 राउंड मोर्टार दागे. पाकिस्तानी सैनिकों पर नजर रखने के लिए सीमा के करीब 30 से अधिक सैन्य चौकियों का निर्माण किया जा रहा है.
उल्लेखनीय है कि डूरंड रेखा अफगानिस्तान व पाकिस्तान के बीच 2,670 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा है. इसका नामकरण वर्ष 1893 में सीमा निर्धारण करने वाले ब्रिटिश नौकरशाह मार्टिमर डूरंड के नाम पर किया गया है. दोनों देशों की सेनाओं के बीच सीमा को लेकर कई बार झड़पें हो चुकी हैं. पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की आपत्तियों के बावजूद सीमा पर बाड़बंदी का 90 प्रतिशत काम पूरा कर लिया है. अफगानिस्तान का कहना है इस सीमाबंदी ने दोनों तरफ के कई परिवारों को बांट दिया है.
काबुल के कई स्पोर्ट्स क्लब के संचालकों का कहना है कि तालिबान ने महिलाओं की खेल गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है. एक स्पोर्ट्स क्लब के प्रमुख हाफिजुल्ला अबासी ने टोलो न्यूज से कहा, 'क्लब में महिलाओं की खेल गतिविधियों के लिए पहले भी अलग व्यवस्था थी और अब भी अलग बंदोबस्त है, इसके बावजूद तालिबान उन्हें खेल गतिविधियों की इजाजत नहीं दे रहा है.'
HIGHLIGHTS
- अफगानिस्तान व पाकिस्तान के बीच 2,670 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा है डूरंड रेखा
- वर्ष 1893 में सीमा निर्धारण करने वाले ब्रिटिश नौकरशाह मार्टिमर डूरंड के नाम पर किया गया
- अफगानिस्तान की आपत्तियों के बावजूद सीमा पर बाड़बंदी का 90 प्रतिशत काम पूरा किया