यूरोपीय संघ (ईयू) से ब्रिटेन के अलग होने के निर्णय ब्रेक्ज़िट पर होने वाले बेहद महत्वपूर्ण मतदान से दो दिन पहले ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने सांसदों को चेताया कि अगर उन्होंने इस मामले में उनके (मे) द्वारा प्रस्तावित समझौते को ठुकराया तो उन्हें बेहद कठिन परिस्थितियों (अनचार्टेड वॉटर्स) का सामना करना पड़ सकता है. मे ने कहा कि 'ब्रेक्ज़िट नहीं होने के वास्तविक खतरे मौजूद हैं' और अगर सांसदों ने ऐसा किया तो उन्हें नए आम चुनाव का सामना करना पड़ सकता है.
'मेल' से बातचीत में उन्होंने कहा कि उनके प्रस्तावों को ठुकराए जाने का अर्थ युनाइटेड किंगडम के लिए 'भारी अनिश्चितता' होगा.
मे का कहना है कि उनके द्वारा प्रस्तावित डील (ईयू से अलग होने के तौर-तरीके, नियम-कायदे) देश के लिए सर्वाधिक बेहतर है. यह साफ नहीं है कि अगर यह डील खारिज हो जाती है तो फिर आगे क्या होगा.
मे ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि लोग इस बात को समझेंगे कि जब मैं कहती हूं कि यह डील अगर पारित नहीं हुई तो हम निश्चित ही गंभीर दिक्कतों में पड़ेंगे तो मैं पूरी शिद्दत से इसमें विश्वास रखती हूं और इसके खतरों के प्रति सचेत हूं."
उन्होंने कहा, "ब्रेक्ज़िट के नहीं होने के खतरे या ईयू को बिना किसी करार के छोड़ने का अर्थ देश के लिए बहुत बड़े पैमाने की अनिश्चितता की शक्ल में सामने आएगा."
इस बीच प्रधानमंत्री कार्यालय ने इन अनुमानों को खारिज किया है कि ब्रेक्ज़िट प्रस्ताव पर मंगलवार को होने वाले मतदान को टाल दिया गया है.
ब्रिटेन में हुए जनमत संग्रह में लोगों ने अपने देश को ईयू से अलग करने पर मुहर लगाई थी. नवंबर में ब्रिटेन ने ब्रेक्ज़िट डील पर सहमति जताई थी लेकिन इसे संसद से पारित होना अभी बाकी है.
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आइए समझते हैं कि ब्रेक्ज़िट क्या है?
'ब्रेक्ज़िट' शब्द दो शब्दों 'ब्रिटेन' और 'एक्ज़िट' से मिलकर बना है. ब्रिटेन में इस मुद्दे को लेकर दो गुट बने हैं, एक गुट EU के समर्थक यानी कि यूरोपियन यूनियन के बने रहने में यक़ीन करते हैं. जिसे 'रीमेन' कहा जाता है. वहीं दूसरे गुट यूरोपियन यूनियन से अलग होने की बात करते हैं. इन्हें 'लीव' कहा जाता है.
यूरोपियन यूनियन से अलग होने वाले यानी कि 'लीव' गुट की दलील है कि ब्रिटेन की पहचान, आज़ादी और संस्कृति को बनाए और बचाए रखने के लिए ऐसा करना ज़रूरी है. वहीं यह गुट ब्रिटेन में आने वाले प्रवासियों का भी विरोध करते हैं. उनका कहना है कि यूरोपियन यूनियन ब्रिटेन के करदाताओं के अरबों पाउंड सोख लेता है, और ब्रिटेन पर अपने 'अलोकतांत्रिक' कानून थोपता है.
वहीं 'रीमेन' खेमे के लोगों का कहना है कि ब्रिटेन की बेहतर अर्थव्यवस्था के लिए यूरोपियन यूनियन में बने रहना ज़्यादा अच्छा है. दरअसल यूरोप ब्रिटेन का सबसे अहम बाज़ार है, और यहीं से उन्हें विदेशी निवेश का फ़ायदा भी मिलता है. वित्तीय जानकारों का मानना है कि यूरोपियन यूनियन में बने रहने की वजह से ही लंदन दुनिया का बड़ा वित्तीय केंद्र बना हुआ है. ऐसे में ब्रिटेन का यूरोपियन यूनियन से बाहर निकलना उसके स्टेटस के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है.
Source : News Nation Bureau