ब्रिटिश सरकार (British Government) ने चीनी हुआवेई (Huawei) कंपनी की 5 जी तकनीक (5G Technology) को प्रतिबंधित करने का फैसला लिया. जिसके अनुसार इस वर्ष की 31 दिसंबर तक हुआवेई कंपनी से 5 जी तकनीकी उपकरण खरीदने पर पाबंदी लगा दी जाएगी और ब्रिटिश दूरसंचार ऑपरेटरों को 2027 से पहले सभी स्थापित हुआवेई उपकरणों को हटाना होगा. इससे पहले यानी 6 जुलाई को ब्रिटिश डिजिटल, संस्कृति, मीडिया और खेल मंत्री ने यह घोषणा की कि हुआवेई को ब्रिटेन के कुछ 5 जी निर्माण में भाग लेने की अनुमति का निर्णय अपरिवर्तनीय नहीं है. माना जाता है कि ब्रिटेन के फैसले के पीछे अमेरिका का निरंतर दबाव है.
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5 जी तकनीक के विकास में देरी हो सकती है: ब्रिटेन
वर्तमान में ब्रिटेन में हुआवेई तकनीक और उपकरणों का व्यापक प्रयोग किया जा रहा है. ब्रिटिश टेलीकॉम ने यह चेतावनी दी है कि उसके दूरसंचार नेटवर्क में मौजूदा हुआवेई उपकरणों को बदलना दस वर्षों के भीतर असंभव होगा. यदि उपकरणों का जबरन प्रतिस्थापन किया जाय, तो इससे नेटवर्क डिस्कनेक्ट हो सकता है और 5 जी तकनीक के विकास में देरी हो सकती है. उधर विश्लेषण कंपनी का मानना है कि उक्त उपकरणों का प्रतिस्थापन करने की लागत दो अरब पाउंड से अधिक हो सकती है. दूसरी तरफ हुआवेई कंपनी पर रोक लगाने के बाद ब्रिटेन किसी कंपनी पर निर्भर रहेगा यह भी एक सवाल है। कुछ पश्चिमी देशों ने नोकिया और एरिक्सन के उपकरणों पर अपना ध्यान मोड़ा, लेकिन द टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार नोकिया और एरिक्सन के भी चीन में बड़े विनिर्माण आधार हैं.
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चीन के साथ व्यापार संबंधों के प्रभाव से ब्रिटेन की जीडीपी में आएगी गिरावट
दूरसंचार उपकरणों का निर्माण 'लगभग सब कुछ चीन में' होता है. हुआवेई कंपनी को मना करने का मतलब है चीन में बने उपकरणों से दूसरे चीन निर्मित उपकरणों का स्थान लेना है. चीन-ब्रिटेन संबंधों को नुकसान पहुंचाने से अंतत: ब्रिटेन के हितों को नुकसान पहुंचेगा. चीन के साथ व्यापार संबंधों के प्रभाव से ब्रिटेन की जीडीपी में गिरावट होगी, जबकि मुद्रास्फीति के दबाव में और तेजी आएगी. चीन ब्रिटेन के लिए यूरोप के बाद दूसरा बड़ा व्यापारिक साझेदार है. और ब्रिटेन के शिक्षा और पर्यटन जैसे संदर्भ में चीन से जुड़ी एक लाख से अधिक नौकरियां मौजूद हैं. (साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)