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वैश्विक मंदीः अब साल के अंत तक ब्रिटेन में आर्थिक संकट गहराने की चेतावनी

डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक गवर्नर एंड्रयू बेली ने आर्थिक संकट और 'ऊर्जा झटके' के लिए 'रूस की कार्रवाइयों' को जिम्मेदार ठहराया. ऊर्जा की कीमतें अर्थव्यस्था को पांच-तिमाही मंदी में धकेल देंगी.

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Nihar Saxena
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Britain Recession

बैंक ऑफ इंग्लैंड ने दशकों बाद ब्याज दरों में किया जबर्दस्त इजाफा.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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ऋषि सुनक (Rishi Sunak) और लिज ट्रस (Liz Truss) में ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री पद की चल रही दौड़ वास्तव में यूरोपीय संघ (European Union) से बाहर आने के बाद कठिन हालातों के बीच हो रही है. इस बीच बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्याज दरों को 0.5 फीसदी से बढ़ाकर 1.75 पीसद कर दिया है. बैंक ऑफ इंग्लैंड के इस कदम को आर्थिक जानकार बहुत अच्छा कदम नहीं मान रहे हैं. इस बाबत एक रिपोर्ट में कहा गया है कि  ब्रिटेन 2022 के अंत तक मंदी (Recession) की चपेट में आ जाएगा, जो 2008 के वित्तीय संकट के बाद सबसे लंबा और 1990 के दशक जितना गहरा होगा. एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि इस सर्दी में गैस और ईंधन की बढ़ती कीमतों के कारण बैंक ऑफ इंग्लैंड ने एक चेतावनी में इसका खुलासा किया है. गौरतलब है कि बैंक ऑफ इंग्लैंड ने 1997 के बाद से ब्याज दरे में सबसे अधिक वृद्धि की है. 

वास्तविक घरेलू आय में भी गिरावट
महामारी और युक्रेन में युद्ध के बाद खाद्य, ईंधन, गैस और कई अन्य वस्तुओं की कीमत बढ़ रही है. डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक गवर्नर एंड्रयू बेली ने आर्थिक संकट और 'ऊर्जा झटके' के लिए 'रूस की कार्रवाइयों' को जिम्मेदार ठहराया. ऊर्जा की कीमतें अर्थव्यवस्था को पांच-तिमाही मंदी में धकेल देंगी - सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2023 में प्रत्येक तिमाही में सिकुड़ जाएगी और 2.1 प्रतिशत तक गिर जाएगी. बैंक ने कहा, 'उसके बाद विकास ऐतिहासिक मानकों से बहुत कमजोर है, यह भविष्यवाणी करते हुए कि 2025 तक शून्य या थोड़ा विकास होगा.' रिपोर्ट के मुताबिक गंभीर आर्थिक स्थिति में वास्तविक घरेलू आय में लगातार दो वर्षों तक गिरावट आएगी. 1960 के दशक में रिकॉर्ड शुरू होने के बाद ऐसा पहली बार हुआ है.

HIGHLIGHTS

  • बैंक ऑफ इंग्लैंड ने 1997 के बाद व्याज दरों में किया जबर्दस्त इजाफा
  • आर्थिक जानकारों ने साल के अंत तक ब्रिटेन में मंदी की आशंका जताई
  • इस बीच राजनीतिक उतार-चढ़ाव भी संतुलन को रहा है बिगाड़
Inflation Rishi Sunak ऋषि सुनक महंगाई European Union Recession Liz Truss लिज ट्रस यूरोपीय संघ आर्थिक मंदी ब्याज दर
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