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आजादी मार्च के बाद राष्ट्रव्यापी हड़ताल के आह्वान से बढ़ी इमरान खान की मुसीबत, कैसे निपटेंगे इससे

पाकिस्तान के व्यापारिक संगठन ने दो दिन की देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है. इससे इमरान खान की मुसीबत बढ़ गई है.

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Deepak Pandey
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आजादी मार्च के बाद राष्ट्रव्यापी हड़ताल के आह्वान से बढ़ी इमरान खान की मुसीबत, कैसे निपटेंगे इससे

पाकिस्तान के पीएम इमरान खान( Photo Credit : (फाइल फोटो))

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पाकिस्तान के व्यापारिक संगठन ने सरकार की 'हानिकारक आर्थिक नीतियों' के खिलाफ 29-30 अक्टूबर को दो दिन की देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, ऑल पाकिस्तान अंजुमन-ए-ताजिरान के केंद्रीय महासचिव नईम मीर ने रविवार को मीरपुरखास में व्यापारियों को संबोधित करते हुए कहा कि उनका एजेंडा प्रधानमंत्री इमरान खान को हटाना नहीं है, बल्कि केवल नीतियों का निवारण करना है.

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मीर ने कहा, "व्यापारियों का सरकार की नीतियों और प्रतिगामी करों से मोहभंग हो गया है." उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने व्यापारियों को सुविधाएं प्रदान कीं, तो वह सभी देय करों का भुगतान करने के लिए तैयार होंगे. मीर ने कहा, "दुर्भाग्य से सरकार एक व्यापार अनुकूल नीति को लागू नहीं कर रही है, बल्कि इसकी नीतियां सीधे व्यापार और अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रही हैं."

मीर ने सरकार से उनकी मांगों को स्वीकार करने की पेशकश की, ताकि वह देशव्यापी हड़ताल के आह्वान को वापस ले सकें. बता दें कि पाकिस्तान में जमीयत उलेमाए इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) के 31 अक्टूबर के आजादी मार्च और इस्लामाबाद में धरने को लेकर सत्तारूढ़ इमरान सरकार की बेचैनी बढ़ती जा रही है. सरकार की कोशिश बातचीत से जेयूआई-एफ नेता मौलाना फजलुर रहमान को राजी करने की है.

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माना जा रहा है कि सरकार ने तय कर लिया है कि अगर बातचीत विफल रही तो मौलाना और उनकी पार्टी के अन्य प्रमुख नेताओं को नजरबंद कर दिया जाएगा. पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, गृह मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने नाम नहीं छापने की शर्त के साथ यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि मौलाना को धरना नहीं देने दिया जाएगा. मौलाना फजलुर रहमान ने कहा कि वह इमरान खान के इस्तीफा देने तक धरने पर बैठे रहेंगे, जबकि पाकिस्तान की सत्तारूढ़ पार्टी तहरीके इनसाफ का कहना है कि इमरान और उनकी पार्टी को जनता ने चुना है, वह इस्तीफा नहीं देंगे.

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