शांति की बात सामने आते ही कि यूनाइटेड नेशन्स का नाम सामने आता है. ये संगठन गरीब देशों की मदद करता है. युद्ध प्रभावित देशों से दोस्ती बनाए रखने की अपील करता है. यूएन को लेकर अक्सर कई देश इसकी सदस्यता को लेने के लिए परेशान रहते हैं. मगर सवाल ये है कि इंटरनेशल पीस के बढ़ चढ़कर के दावे अब कहां हैं. इजरायल और फिलिस्तीन की जंग को वह क्या रोक पाएगा. लोगों के मन में सवाल होंगे कि क्या यूएन फिलिस्तीन और इजरायल की जंग में मध्यस्थता का रोल अदा कर रहा है या नहीं. यहां वह लोगों को किसी तरह की मदद दे रहा है? हाल ही में यूनाइटेड नेशन्स सिक्योरिटी काउंसिल (UNSC) की 90 मिनट की लंबी अवधी की बैठक हुई. इसमें ताजा युद्ध पर चर्चा की गई.
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15 देशों ने इस युद्ध को नकार दिया है. इस युद्ध के लिए उन्होंने हमास को जिम्मेदार ठहराया. इसके साथ ही इजरायल से शांति की अपील की है. मगर इससे कुछ फर्क नहीं पड़ा और जंग लगातार उग्र होती जा रही है. इस युद्ध में आसपास और दूर के देश भी आग भड़काने का काम कर रहे हैं. ऐसा ही हाल कुछ यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध का भी हुआ.
संयुक्त राष्ट्र की अपील के बावजूद युद्ध अब तक जारी है. साल 1945 जब से ये संगठन बना है, तब से इसका सबसे बड़ा मकसद शांति बनाए रखना है. यह तब बनाया गया, जब दुनिया विश्व युद्ध को झेल चुकी थी. ऐसे में ताकतवर देशों ने मिलकर यह तय किया कि एक अंब्रेला को तैयार किया जाएगा. इसमें कई काम किए जाएं. इसके साथ ही उन देशों पर शांति के लिए दबाव बनाया जाए जो हमेशा लड़ाई के लिए तैयार रहते हैं.
जानें कब-कब विफल हुआ यूएन
- रूस और यूक्रेन के बीच इसने दखल दिया. मगर कोई भी कोशिश रंग नहीं लाई.
- इराक और ईरान के बीच 8 सालों तक जंग छिड़ी रही. 10 लाख लोग की मृत्यु हुई. मगर यूएन कुछ खास कर नहीं पाया.
- वियतनाम और अमेरिका के युद्ध को रोकने में विफल रहा.
-गृहयुद्ध में भी सिक्योरिटी काउंसिल ने तह तक जाना चाहा, मगर कोई नतीजा सामने नहीं आया. ऐसा सोमालिया में हुआ.