आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) के अपराधों की जांच करने वाले संयुक्त राष्ट्र (UN)विशेष जांच दल के प्रमुख ने कहा है कि इन मामलों में भी वैसे ही मुकदमे चलने चाहिये जैसे नाजी नेताओं के खिलाफ चले थे, ताकि पीड़ितों को सुना जा सके और ISIS की विचारधारा को नष्ट किया जा सके. ब्रिटेन के वकील करीम खान ने संयुक्त राष्ट्र (UN)के निकाय 'यूनिटेड' के लिये सबूत जुटाने और गवाही के लिये एक साल तक लगभग 80 जांचकर्ताओं के साथ इराक का दौरा किया.
खान ने बताया कि यह पहाड़ पर चढ़ने जैसा था, क्योंकि जांच दल ने 200 से अधिक सामूहिक कब्रों से मिले 12 हजार शवों, ISIS के अपराधों से जुड़े 600,000 वीडियो और समूह के शासन से संबंधित 15000 पन्नों का विश्लेषण किया. उन्होंने कहा कि किसने सोचा होगा कि 21वीं सदी में हम इंसान को सूली पर चढ़ाते, पिंजरे में डालकर जलाते, गुलाम बनाते, सेक्स गुलामी कराते, इमारतों से फेंकते या सिर कलम करते देखेंगे.
उन्होंने कहा कि यह सभी कैमरे में कैद किया गया. इतने खौफनाक होने के बावजूद भी यह अपराध नये नहीं हैं.उन्होंने कहा कि ISIS के साथ नयी बात यह है कि इस समूह की विचारधारा ने भी उसके अपराधों के लिये उसी तरह ईंधन का काम किया है जैसाकि फासीवाद ने हिटलर की आपराधिक करतूतों को हवा देने के लिये किया था.
नाजी नेताओं के खिलाफ द्वितीय विश्वयुद्ध में करीब 60 लाख यहूदियों के कत्ल के इल्जाम में 1945-46 में जर्मनी के न्यूरेमबर्ग स्थित अंतरराष्ट्रीय सैन्य अदालत में मुकदमे चले थे. खान ने भी ऐसी की सुनवाई का सुझाव दिया है.
Source : एएफपी