चीन ने थल सैनिकों की संख्या 50 प्रतिशत तक घटाई, जानें इसके पीछे क्या है उसका मकसद

चीन ने अपने थल सैनिकों की संख्या करीब 50 प्रतिशत कम कर दी है. चीन ऐसा इस लिए कर रहा है ताकि नेवी और एयर फोर्स को मजबूत किया जा सके.

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nitu pandey
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चीन ने थल सैनिकों की संख्या 50 प्रतिशत तक घटाई, जानें इसके पीछे क्या है उसका मकसद

चीन ने थल सैनिकों की संख्या 50 प्रतिशत तक घटाई (फाइल फोटो: IANS)

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चीन ने अपने थल सैनिकों की संख्या करीब 50 प्रतिशत कम कर दी है. चीन ऐसा इस लिए कर रहा है ताकि नेवी और एयर फोर्स को मजबूत किया जा सके. बताया जा रहा है कि यह सबकुछ पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को आधुनिक फोर्स में तब्दील करने की अभूतपूर्व रणनीति के तहत किया जा रहा है. समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, 20 लाख की संख्या वाली चीनी मिलिटरी इसकी नेवी, एयर फोर्स और नई रणनीतिक इकाई को मजबूती दे रही है और अपने थल सैनिकों को घटा रहा है.

पीएलए द्वारा किए गए बदलाव को दर्शाते हुए रविवार को प्रकाशित फीचर रिपोर्ट में कहा गया है कि, 'पीएलए के इतिहास में यह अभूतपूर्व डेटा है, आर्मी अब पीएलए की संख्या 50 प्रतिशत घटाएगी, जो कि हमारी नॉन-कॉम्बेट यूनिट का लगभग आधा है. पीएलए के अधिकारियों की संख्या 30 प्रतिशत कम की गई है.'

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पिछले कुछ सालों में पीएलए ने अपने सैनिकों की संख्या कम की है जो कि राष्ट्रपति शी चिनफिंग द्वारा शुरू किए गए मिलिटरी सुधार का हिस्सा है. लेकिन फिर भी 20 लाख सैनिकों के साथ यह दुनिया की सबसे बड़ी फोर्स बनी हुई है.

रिपोर्ट के मुताबिक, पीएलए के चार अन्य ब्रांच नेवी, एयर फोर्स, रॉकेट फोर्स और स्ट्रैटेजिक सपोर्ट फोर्स की संख्या चीनी मिलिटरी की कुल संख्या के आधी है. यह आर्मी को ओवरटेक कर रही है जो कि पारंपरिक रूप से पीएलएल में दबदबे वाला यूनिट रहा है. नेवी का पिछले कुछ सालों में व्यापक विस्तार हुआ है क्योंकि चीन में एक एयरक्राफ्ट करियर बना चुका है, जबकि दूसरे का ट्रायल चल रहा है और तीसरा बन रहा है. आधिकारिक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चीन पांच से छह एयरक्राफ्ट करियर बनाने वाला है. रॉकेट फोर्स और स्ट्रैटेजिक सपोर्ट फोर्स विशेषकर मिसाइल वारफेयर पर ध्यान देते हैं.

शंघाई के मिलिटरी विशेषज्ञ नी लेक्यांग ने कहा कि इसका मतलब है चीनी सीमा पर दुश्मनों सैनिकों से लड़ने में नेवी, एयर फोर्स और मिसाइल यूनिट अब ज्यादा बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. उन्होंने कहा कि हवा, स्पेस और साइबरस्पेस के क्षेत्र में आधुनिक वारफेयर से दबदबा पैदा होता है. इससे थल सेना का महत्व कम हो रहा है. उन्होंने कहा, 'चीनी सैनिक द्वितीय विश्वयुद्ध में तैयार हुए मॉडल का अनुसरण करते हुए काम करते थे.'

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उन्होंने बताया कि पहले पीएलए में कई अधिकारी थे. इन सभी अधिकारियों को या तो नया पद दिया जाएगा या फिर ये बेकार हो जाएंगे. चीनी मिलिटरी में फिलहाल पांच स्वतंत्र इकाई है जिसमें आर्मी, नेवी, एयर फोर्स, रॉकेट फोर्स और स्ट्रैटेजिक सपोर्ट फोर्स है. स्ट्रैटेजिक सपोर्ट के अंतर्गत साइबर, स्पेस और इलेक्ट्रॉनिक वारफेर को देखा जाता है. आखिरी दो फोर्स राष्ट्रपति शी की सेना के आधुनिकीकरण के पहल तहत तीन साल पहले स्थापित हुआ है.

पीएलए की स्थापना 1927 में रेड आर्मी के रूप में हुई थी जो 1949 के सिविल वॉर में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की जीत में अहम भूमिका निभाई थी और 1950 से 2005 के बीच बड़े युद्ध में इसने अपना दबदबा दिखाया है. पीएलए के पास 1949 से पहले नेवी नहीं था और पीएलए रॉकेट फोर्स की स्थापना 1966 में की गई है. डिफेंस वाइट पेपर के मुताबिक, 2013 में पीएलए कुल 23 लाख कर्मचारी थे, जिसमें से नेवी में 2.35 लाख, एयरफोर्स में 3,98 लाख थे.

Source : PTI

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