चीन ने पाकिस्तान को नकदी संकट से उबारने के लिए ऋण के रूप में 1.2 अरब डॉलर से अधिक की मदद दी है। बीते कुछ वर्षो में चीन ने पाकिस्तान की मदद में वृद्धि की है।
समा टेलीविजन के मुताबिक, अधिकारियों ने कहा कि चीनी बैंक पाकिस्तान को दो बार साल 2016 में 90 करोड़ डॉलर तथा साल 2017 में 30 करोड़ डॉलर की मदद पहले भी दे चुके हैं।
आयात में तेजी से वृद्धि, लेकिन निर्यात में गिरावट के कारण जोखिमपूर्ण व अस्थिर पाकिस्तानी विदेशी मुद्रा भंडार में पिछले कुछ महीनों में भारी कमी दर्ज की गई है, जिसे पाटने के लिए चीन ने मदद की है।
यह बीजिंग तथा इस्लामाबाद के बीच निकट साझेदारी को दर्शाता है, क्योंकि पाकिस्तान तथा अमेरिका के संबंधों में दरार आ गई है।
चीन द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में कई परियोजनाओं को मंजूरी देने के बाद चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के तहत पाकिस्तान में बीजिंग का निवेश 55 अरब डॉलर से बढ़कर 62 अरब डॉलर हो जाएगा।
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अनुमानित लाभ के बावजूद पाकिस्तान को समझौते से फायदा होगा, हालांकि सीपीईसी ढांचागत परियोजनाओं के लिए ठेकेदारों तथा आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान से उसका विदेशी मुद्रा भंडार कम होगा।
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के आंकड़ों के मुताबिक, देश का कुल रिजर्व अक्टूबर 2016 में 25 अरब डॉलर से घटकर फरवरी में 17.1 अरब डॉलर रह गया, जबकि काफी वर्ष पहले यह 25 अरब डॉलर था।
रपट के मुताबिक, इसके कारण पाकिस्तान को विदेशी मुद्रा के रूप में पिछले कर्जो को चुकाने के लिए बाहरी स्रोतों से आपात ऋण लेना पड़ा।
अनुमान के मुताबिक, 50 अरब डॉलर ऋण तथा निवेश के लिए पाकिस्तान को अगले तीन दशकों में चीन को 90 अरब डॉलर का भुगतान करना है।
टॉपलाइन सिक्युरिटीज के एक विश्लेषक साद हाशमी ने कहा, 'सीपीईसी का सालाना पुनर्भुगतान तीन अरब डॉलर होगा। वित्त वर्ष 2020-25 के बीच 2 अरब डॉलर-5.3 अरब डॉलर होगा, जिसके लिए औसतन पुनर्भुगतान 3.7 अरब डॉलर होगा।'
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Source : IANS