पाकिस्तान की जमीन से चल रहे ग्लोबल टेररिज्म (Global Terrorism) को चीन किस तरह संरक्षण दे रहा है, उसका एक और सच दुनिया के सामने आया है. लश्कर के कुख्यात आतंकी और उपप्रमुख अब्दुल रहमान मक्की (Abdul Rehman Makki) को यूएन अंतर्राष्ट्रीय आतंकी की सूची में डालने का चीन ने विरोध किया है. हाफिज सईद (Hafiz Saeed) के साले अब्दुल रहमान मक्की पर यूएस ने 2 मिलियन डॉलर का अवार्ड रखा है. मक्की भारत और अमेरिका की आतंकी सूची में शामिल है.
मक्की को यूएन सिक्योरिटी काउंसिल के अल कायदा (दाएश) और आई एस आई एल सैंक्शन कमेटी में डालने का साझा प्रस्ताव भारत और अमेरिका ने 1 जून को दिया था. लश्कर और जमात उद दावा यूएन के आतंकी संगठनों की सूची में शामिल है जिसकी प्रमुख जिम्मेदारी मक्की संभाल रहा है. बावजूद इसके भारत और अमेरिका के प्रस्ताव का विरोध करते हुए चीन ने पाकिस्तान के जमीन पर जारी आतंक और उसके प्रमुख आतंकी चेहरे को बचाने का काम किया है. चीन ने इस प्रस्ताव पर टेक्निकल होल्ड लगाकर मामले को 6 महीने के लिए लटका दिया है.
पाकिस्तान की अदालतों में कई बार चले हैं मामले
मक्की के खिलाफ टेरर फंडिंग का मामला पाकिस्तान की अदालत में भी आया था और 15 मई 2019 में उसकी गिरफ्तारी भी हुई और हाउस अरेस्ट रखा गया. साल 2020 में टेरर फाइनेंस के केस में मक्की को कनविक्ट भी किया गया और जेल की सजा सुनाई गई. इन तमाम साक्ष्यों के बावजूद चीन का यह कदम ग्लोबल आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करने वाला है और पाकिस्तान को एक आतंकी देश के रूप में फलने फूलने में मददगार है.
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भारत में हुए कई आतंकी हमलों में रहा है शामिल
यूएन में भारत और यूएस के प्रस्ताव का चीन ने विरोध कर एक बार फिर साबित कर दिया है कि ड्रैगन का हाथ आतंक के साथ है. मक्की भारत में आतंकी हमले, आतंकियों की भर्ती, फंड रेसिंग सहित विशेष रूप से J&K की आतंकी गतिविधियों से जुड़ा रहा है. Let और Jud के प्रमुख पदों पर रहा मक्की 26/11 हमले में अहम किरदार रहा तो वहीं लाल किला आतंकी हमले का भी मास्टरमाइंड रहा है. 1 जनवरी 2008 में सीआरपीएफ कैंप पर हुए आतंकी हमले, 12-13 फरवरी श्रीनगर के करण नगर में हुआ आतंकी हमला, 2018 में ही हुए गुरेज और बांदीपुरा के आतंकी हमले में भी मक्की का नाम आया था, के आतंकी हमले में भी शामिल रहा है.
पहले भी ऐसी हरकतें करता रहा है ड्रैगन
यह पहली बार नहीं है, जब चीन ने किसी ग्लोबल आतंकी को यूएन सूची में डालने का विरोध किया हो. इससे पहले भी जैश प्रमुख और कुख्यात आतंकी मौलाना मसूद अजहर को यूएन सूची में शामिल करने का चीन ने कई बार विरोध किया था. आतंकवाद को लेकर चीन की कथनी करनी और डबल स्टैंडर्ड का यह एक और जीता जागता उदाहरण है.
HIGHLIGHTS
- फिर से पाकिस्तानी आतंकियों के बचाव में उतरा चीन
- अब्दुल रहमान मक्की पर बैन के प्रस्ताव को किया ब्लॉक
- चीन ने दाएश-अलकायदा लिस्ट में शामिल करने पर किया वीटो