नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पिछले महीने संसद को भंग करने का फ़ैसला लिया था. साथ ही प्रधानमंत्री ओली ने अप्रैल महीने में चुनाव कराने का जिक्र भी किया था. सत्तारूढ़ नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के अंदर उभरे मतभेद के बाद देश में एक तरह का सियासी संकट पैदा हो गया था. नेपाल में इस तरह की सियासी अस्थिरता चीन को नागवार गुजरा है.
नेपाल में गहराते सियासी संकट के बीच चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के अंतरराष्ट्रीय मामलों के विभाग में उप-मंत्री के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल नेपाल आया. बताया जा रहा है कि नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी में विभाजन से चीन ख़ुश नहीं है. चीन के राष्ट्रपति द्वारा नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के विभाजन को रोकने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल भेजा गया था जो असफल हो कर वापस लौट गया है. लेकिन अब बताया जा रहा है कि चीन की ख़ुफ़िया एजेंसी के तीन बड़े अधिकारी इस समय काठमांडू में मौजूद हैं.
बताया जा रहा है कि ख़ुफ़िया एजेंसी के तीनों अधिकारी नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के साथ अन्य वामपंथी नेताओं के साथ लगातार मुलाकात कर रहे हैं. आधिकारिक तौर अभी तक इन अधिकारीयों के मिशन के बारे कुछ भी नहीं कहा गया है. वरिष्ठ पत्रकार पंकज दास कहते हैं कि अभी भी नेपाल में चीन की ख़ुफ़िया एजेंसी के तीन बड़े अधिकारी मौजूद हैं जो लगातार वामपंथी नेता के साथ मुलाकात कर रहे हैं.
वरिष्ठ पत्रकार पंकज दास कहते हैं कि अभी तक उन अधिकारीयों के मकसद के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है. लेकिन बताया जा रहा है कि चीन वामपंथी नेताओं के जरिये नेपाल में अस्थिरता और अशांति फैलाना चाह रहा है. बता दें कि चीन नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के जरिये अपने मकसद में सफल नहीं हो पाने के बाद अब वो नेपाल में अस्थिरता फैलाना चाहता है. रिपोर्ट की माने तो चीन अपने ख़ुफ़िया अधिकारीयों के जरिये नेपाल में लोगों की एक दूसरे के खिलाफ सड़क पर उतार कर अशांति फैलाना चाहता है.
Source : News Nation Bureau