चीन ने पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी और भारतीय सेना के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद बुधवार को दावा किया कि घाटी में सम्प्रभुता ‘‘हमेशा से उसी की’’ रही है, लेकिन उसने इस बात को रेखांकित किया कि बीजिंग ‘और झड़पें’ नहीं चाहता है. भारत ने मंगलवार को कहा था कि पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प क्षेत्र में ‘‘यथास्थिति को एकतरफा तरीके से बदलने के चीनी पक्ष के प्रयास’’ के कारण हुई.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि पूर्व में शीर्ष स्तर पर जो सहमति बनी थी, अगर चीनी पक्ष ने गंभीरता से उसका पालन किया होता, तो दोनों पक्षों को हुए नुकसान से बचा जा सकता था. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘गलवान घाटी में सम्प्रभुता हमेशा से चीन की ही रही है.’’ इससे पहले चीनी सेना ने भी नया एक विवाद शुरू करते हुए मंगलवार को इसी प्रकार का बयान दिया था. यह पूछे जाने पर कि गलवान को गैर विवादित सीमा क्षेत्र माना जाता है, तो चीन इस क्षेत्र पर अब अपनी सम्प्रभुता का दावा क्यों कर रहा है? इसके जवाब में झाओ ने कहा, ‘‘गलवान क्षेत्र के मामले में हम सैन्य एवं राजनयिक माध्यमों से बातचीत कर रहे हैं. इस मामले में सही और गलत बहुत स्पष्ट है. यह चीनी सीमा के भीतर हुआ और इसके लिए चीन पर आरोप नहीं लगाया जा सकता.’’
झाओ ने सोमवार रात को हुई झड़प में चीनी पक्ष के 43 जवानों के हताहत होने संबंधी रिपोर्टों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, ‘‘सीमा पर बल प्रासंगिक मामलों से निपट रहे हैं.’’ प्रवक्ता से सवाल किया गया कि भारत ने हताहतों की संख्या जारी कर दी है, लेकिन चीन अपने हताहत जवानों की संख्या क्यों नहीं बता रहा है, इसके जवाब में झाओ ने कहा, ‘‘मैंने कहा है कि चीनी और भारतीय सीमा बल प्रासंगिक मामले से मिलकर जमीनी स्तर पर निपट रहे हैं. फिलहाल मुझे इस बारे में और कुछ नहीं कहना है.’’ झाओ ने कहा कि चीन एवं भारत की सीमा पर स्थिति को लेकर दोनों पक्ष संवाद के जरिए राजनयिक एवं सैन्य माध्यमों से इसे सुलझा रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘सीमा संबंधी समग्र स्थिति स्थिर एवं नियंत्रण योग्य है.’’ यह पूछे जाने पर कि क्या भविष्य में इस प्रकार की झड़पों को रोका जाएगा, प्रवक्ता ने कहा, ‘‘चीनी पक्ष की ओर से हम और झड़पें नहीं देखना चाहते हैं.’’ झाओ ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि आपने इस बात पर गौर किया होगा कि चीन और भारत दोनों ने कहा है कि हम सीमा क्षेत्र में शांति बरकरार रखते हुए वार्ता के जरिए मतभेद सुलझाने को लेकर प्रतिबद्ध हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘विश्व के दो सबसे बड़े देश और सबसे बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के तौर पर चीन और भारत के साझे हित मतभेदों से कहीं अधिक बड़े हैं.’’
झाओ ने कहा, ‘‘दोनों देशों को उनके नेताओं के बीच बनी महत्वपूर्ण सर्वसम्मति का ईमानदारी से पालन करना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि द्विपक्षीय संबंध सही दिशा में आगे बढ़ें, जिससे हमारे लोगों का हित हो और उनकी अपेक्षाएं पूरी हों. हमें उम्मीद है कि भारत इस मामले में चीन के साथ काम कर सकता है.’’ लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी बलों के साथ झड़प में एक कर्नल समेत कुल 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए हैं. यह पिछले करीब पांच दशक में दोनों देशों के बीच सबसे बड़ा सैन्य टकराव है, जिसके कारण सीमा पर पहले से जारी गतिरोध की स्थिति और गंभीर हो गई है.
वर्ष 1967 में नाथू ला में झड़प के बाद दोनों सेनाओं के बीच यह सबसे बड़ा टकराव है. उस वक्त टकराव में भारत के 80 सैनिक शहीद हुए थे और 300 से ज्यादा चीनी सैन्यकर्मी मारे गए थे. पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी इलाके में भारतीय और चीनी सेना के बीच गतिरोध चल रहा है. भारतीय सेना ने चीनी सेना की इस कार्रवाई पर कड़ी आपत्ति जताई है और क्षेत्र में अमन-चैन के लिए तुरंत उससे पीछे हटने की मांग की है. गतिरोध दूर करने के लिए पिछले कुछ दिनों में दोनों तरफ से कई बार बातचीत भी हुई है.
Source : Bhasha
धोखे से वार करने के बाद थेथरई पर उतरा चीन, कहा- उसी की रही है गलवान घाटी
चीन ने पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी और भारतीय सेना के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद बुधवार को दावा किया कि घाटी में सम्प्रभुता ‘हमेशा से उसी की’ रही है, लेकिन उसने इस बात को रेखांकित किया कि बीजिंग ‘और झड़पें’ नहीं चाहता है.
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चीन ने पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी और भारतीय सेना के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद बुधवार को दावा किया कि घाटी में सम्प्रभुता ‘‘हमेशा से उसी की’’ रही है, लेकिन उसने इस बात को रेखांकित किया कि बीजिंग ‘और झड़पें’ नहीं चाहता है. भारत ने मंगलवार को कहा था कि पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प क्षेत्र में ‘‘यथास्थिति को एकतरफा तरीके से बदलने के चीनी पक्ष के प्रयास’’ के कारण हुई.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि पूर्व में शीर्ष स्तर पर जो सहमति बनी थी, अगर चीनी पक्ष ने गंभीरता से उसका पालन किया होता, तो दोनों पक्षों को हुए नुकसान से बचा जा सकता था. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘गलवान घाटी में सम्प्रभुता हमेशा से चीन की ही रही है.’’ इससे पहले चीनी सेना ने भी नया एक विवाद शुरू करते हुए मंगलवार को इसी प्रकार का बयान दिया था. यह पूछे जाने पर कि गलवान को गैर विवादित सीमा क्षेत्र माना जाता है, तो चीन इस क्षेत्र पर अब अपनी सम्प्रभुता का दावा क्यों कर रहा है? इसके जवाब में झाओ ने कहा, ‘‘गलवान क्षेत्र के मामले में हम सैन्य एवं राजनयिक माध्यमों से बातचीत कर रहे हैं. इस मामले में सही और गलत बहुत स्पष्ट है. यह चीनी सीमा के भीतर हुआ और इसके लिए चीन पर आरोप नहीं लगाया जा सकता.’’
झाओ ने सोमवार रात को हुई झड़प में चीनी पक्ष के 43 जवानों के हताहत होने संबंधी रिपोर्टों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, ‘‘सीमा पर बल प्रासंगिक मामलों से निपट रहे हैं.’’ प्रवक्ता से सवाल किया गया कि भारत ने हताहतों की संख्या जारी कर दी है, लेकिन चीन अपने हताहत जवानों की संख्या क्यों नहीं बता रहा है, इसके जवाब में झाओ ने कहा, ‘‘मैंने कहा है कि चीनी और भारतीय सीमा बल प्रासंगिक मामले से मिलकर जमीनी स्तर पर निपट रहे हैं. फिलहाल मुझे इस बारे में और कुछ नहीं कहना है.’’ झाओ ने कहा कि चीन एवं भारत की सीमा पर स्थिति को लेकर दोनों पक्ष संवाद के जरिए राजनयिक एवं सैन्य माध्यमों से इसे सुलझा रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘सीमा संबंधी समग्र स्थिति स्थिर एवं नियंत्रण योग्य है.’’ यह पूछे जाने पर कि क्या भविष्य में इस प्रकार की झड़पों को रोका जाएगा, प्रवक्ता ने कहा, ‘‘चीनी पक्ष की ओर से हम और झड़पें नहीं देखना चाहते हैं.’’ झाओ ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि आपने इस बात पर गौर किया होगा कि चीन और भारत दोनों ने कहा है कि हम सीमा क्षेत्र में शांति बरकरार रखते हुए वार्ता के जरिए मतभेद सुलझाने को लेकर प्रतिबद्ध हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘विश्व के दो सबसे बड़े देश और सबसे बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के तौर पर चीन और भारत के साझे हित मतभेदों से कहीं अधिक बड़े हैं.’’
झाओ ने कहा, ‘‘दोनों देशों को उनके नेताओं के बीच बनी महत्वपूर्ण सर्वसम्मति का ईमानदारी से पालन करना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि द्विपक्षीय संबंध सही दिशा में आगे बढ़ें, जिससे हमारे लोगों का हित हो और उनकी अपेक्षाएं पूरी हों. हमें उम्मीद है कि भारत इस मामले में चीन के साथ काम कर सकता है.’’ लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी बलों के साथ झड़प में एक कर्नल समेत कुल 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए हैं. यह पिछले करीब पांच दशक में दोनों देशों के बीच सबसे बड़ा सैन्य टकराव है, जिसके कारण सीमा पर पहले से जारी गतिरोध की स्थिति और गंभीर हो गई है.
वर्ष 1967 में नाथू ला में झड़प के बाद दोनों सेनाओं के बीच यह सबसे बड़ा टकराव है. उस वक्त टकराव में भारत के 80 सैनिक शहीद हुए थे और 300 से ज्यादा चीनी सैन्यकर्मी मारे गए थे. पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी इलाके में भारतीय और चीनी सेना के बीच गतिरोध चल रहा है. भारतीय सेना ने चीनी सेना की इस कार्रवाई पर कड़ी आपत्ति जताई है और क्षेत्र में अमन-चैन के लिए तुरंत उससे पीछे हटने की मांग की है. गतिरोध दूर करने के लिए पिछले कुछ दिनों में दोनों तरफ से कई बार बातचीत भी हुई है.
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