पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हुए आत्मघाती हमले ने देश में काम कर रहे चीनी नागरिकों के आत्मविश्वास को हिला दिया है. पाकिस्तान के एक सुरक्षा विश्नलेषक का कहना है कि रिपोर्ट से इस तरह के संकेत मिल रहे है कुछ सुरक्षा चिंताओं की वजह से देश छोड़ने पर विचार कर रहे हैं. पाकिस्तान हालांकि अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने का बार-बार वादा कर रहा है. विश्लेषकों का कहना है कि हालिया घटना ने चीनियों के विश्वास को तोड़ा है. पाकिस्तान के अखबर डॉन में सुरक्षा विश्लेषक मुहम्मद अमीर राणा का कहना है कि चीनी सोशल मीडिया पर इस मामले को लेकर काफी चर्चा हो रही है. यहां पर लोगों ने पाकिस्तान में रह रहे चीन के नागरिकों के पुख्ता सुरक्षा उपायों की मांग की है.
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तीन अहम पनबिजली परियोजनाओं का काम रोका
डॉन के समाचार पत्र में लिखे लेख में मुहम्मद आमिर राणा ने बताया कि चीनी इंजीनियरों ने वाहन पर मंगलवार को हुए आतंकी हमले में पांच चीनी नागरिकों के मारे जाने के कारण चीन की कंपनियों ने कम से कम तीन अहम पनबिजली परियोजनाओं डासू बांध, डायमर-बाशा बांध और तरबेला एक्सटेंशन के काम को पूरी तरह से रोक दिया है. गौरतलब है कि 60 अरब अमेरिकी डॉलर के चीन-पाकिस्तान गलियारे के तहत जारी परियोजनाओं में हजारों चीनी कर्मचारी पाकिस्तान में काम कर रहे हैं. राणा के अनुसार, पाकिस्तान को उग्रवादी परिदृश्य काफी जटिल है. इसे तोड़ना बहुत अहम है. यहां पर विचारधाराएं, सामाजिक-राजनीतिक कारक और समूहों की गतिशीलता सभी कारक हैं.
पाकिस्तान सुरक्षा विश्लेषक का कहना है कि इस क्षेत्र में चीनी रहना पसंद नहीं कर रहे हैं. वे डरे हुए हैं. उनका मानना है कि अगर वे यहां पर ज्यादा दिनों तक रहते हैं तो उन पर भी हमले हो सकते हैं. विश्लेषकों का कहना है कि चीनी नागरिकों को लेकर यहां पर बहुत अच्छी धारणा नहीं है. इसका एक उदाहरण है, बीते साल दासू बांध स्थल पर चीनी अधिकारी के खिलाफ ईशनिंदा का आरोप. इससे यह पता लगाता है कि यहां पर कभी भी तनाव को भड़काया जा सकता है.
Source : News Nation Bureau