Advertisment

चीन मुंह की खा नेपाल से बैरंग वापस, नहीं करा सका ओली-प्रचंड एका

सत्ता की बंदरबांट में विभाजित हो चुकी नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी को फिर से एक करने का राष्ट्रपति शी जिनपिंग का संदेश लेकर आए चाइनीज कम्युनिष्ट पार्टी के अन्तर्राष्ट्रीय विभाग के उपप्रमुख सहित की टीम निराश होकर वापस चला गया है. 

author-image
Kuldeep Singh
एडिट
New Update
Prachanda Oli

केपी ओली और पुष्प कमल दहल( Photo Credit : न्यूज नेशन)

Advertisment

नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी के विभाजन को रोकने के लिए काठमांडू आए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दूत चार दिनों की मशक्कत के बाद बैरंग वापस लौट गए हैं. सत्ता की बंदरबांट में विभाजित हो चुकी नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी को फिर से एक करने का राष्ट्रपति शी जिनपिंग का संदेश लेकर आए चाइनीज कम्युनिष्ट पार्टी के अन्तर्राष्ट्रीय विभाग के उपप्रमुख सहित की टीम निराश होकर वापस चला गया है. 

यह भी पढ़ेंः नए साल के जश्न पर कोरोना का साया, इन बड़े शहरों में रहेगा नाइट कर्फ्यू

चीन के डिजाइन में बने नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी की टूट ने चीन की हर चाल को असफल कर दिया है. नेपाल में कम्युनिष्ट सत्ता के जरिए चीन नेपाल में ना सिर्फ अपना एजेंडा पूरा कर रहा था बल्कि नेपाल को भारत से दूर करने की हरसंभव कोशिश भी की लेकिन चीन ने जिस ओली के ऊपर सबसे अधिक भरोसा किया था आज उन्हीं ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दूत को नेपाल के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप नहीं करने की हिदायत दे दी जो चीन के लिए किसी झटके से कम नहीं था.  

चीन के लिए हमेशा ही कम्युनिष्ट पार्टी का एक होना प्राथमिकता में था और जब तक पार्टी के जरिए चीन का षड्यंत्र पूरा होता रहा तब तक ओली कुर्सी पर टिके रहे. लेकिन जैसे ही पार्टी के भीतर के विवाद और कुर्सी पर प्रचण्ड की नजर पड़ी उसी समय से नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी और चीन के बीच में खटपट शुरू हो गई. चीन के लिए ओली का महत्व नहीं रहा और चीन ने ओली को स्टेप डाउन करने के लिए कहा तो ओली का चीन पर से भरोसा उठ गया.   

यह भी पढ़ेंः प्रधानमंत्री मोदी बोले- 2021 में दवाई भी लेनी है, कड़ाई भी रखनी है

इस बार भी शी जिनपिंग के दूत का एजेंडा ओली को अलग थलग करने और प्रचण्ड को कुर्सी पर बिठाने का था लेकिन चीन उसमें भी सफल नहीं हो पाया. चीन के भरोसे भारत से दुश्मनी मोल लेने वाले प्रचण्ड को सत्ता में बैठने के लिए एक बार फिर भारत की याद आई है. प्रचंड ने विभिन्न माध्यम से दिल्ली के समर्थन की गुहार लगा रहे हैं ताकि ओली को हटाकर वो खुद प्रधानमंत्री बन सकें. 

Source : News Nation Bureau

nepal china Xi Jinping नेपाल केपी शर्मा ओली शी जिनपिंंग पुष्प कमल दहल प्रचंड PM kp oli
Advertisment
Advertisment
Advertisment