हर कोई चाहता है कि 60 वर्ष की उम्र में वे आत्मनिर्भर बन जाएंं. अपने बच्चों के साथ अधिक से अधिक से समय बिताएं. मगर चीन में उल्टी गंगा बह रही है. यहां पर बुजुर्ग काम करने पर मजबूर हैं. यहां पर बुजुर्गों को 60 साल के बाद भी काम करना पड़ रहा है. तीन दशकों तक जियान की सड़कों पर बन बेचकर गुजर बसर करने वाले 67 साल के हू डेक्सी हर रोज सुबह 4 बजे उठकर दोपहर का खाना पकाते हैं. इसके साथ पत्नी के साथ शहर के शॉपिंग मॉल में सफाई का काम करते हैं. इस तरह से उनकी कमाई 4,000 युआन हो जाती है. आइए जानने की कोशिश करते है कि चीन की बूढ़ी आबादी आखिरकार रिटायरमेंट से किस लिए दूर हो रही है.
चीन में अगले 10 साल में रिटायरमेंट की उम्र तक पहुंचने वाले 100 मिलियन प्रवासी ग्रामीणों में से कई के लिए एक विकल्प अपने गांव लौटना है. माह भर की पेंशन 123 युआन यानी कि $17 और अन्य काम करके वे अपनी जिंदगी बसर कर रहे हैं.
यहां की बुजुर्ग आबादी को डर है कि पैसे न होने पर उनकी जिंदगी और स्टेटस और नीचे गिर सकता है. वहीं चीन में प्रशिक्षित कामगारों की कमी है. युवा उम्मीदवार न मिलने के कारण उसे मजबूरन बुजुर्ग लोगों से काम चलाना पड़ रहा है, क्योंकि कम पैसे में इनसे बेहतर काम मिलता है.
भावनात्मक जुड़ाव कम देखने को मिल रहा
वहीं चीन में परिवारिक बदलाव भी हुए हैं. यहां पर माता-पिता और उनके पुत्र-पुत्री के बीच अब भावनात्मक जुड़ाव कम देखने को मिल रहा है. अब यहां के सामाज में पैसे की अहमियत काफी अधिक है. ऐसे में बुजुर्गों को डर है कि अगर पैसे हाथ में न रहे तो सामाज में उनका सम्मान कम होगा. ऐसे में किसी न किसी काम से जुड़ घर में पैसे लाना चाहते हैं ताकि उन्हें वह सम्मान मिलता रहे.
चीन की अर्थव्यस्था बीते कुछ दशकों में तेजी से बढ़ी है. इसकी वजह है कि उसके पास काफी मैनपॉवर है. इसका उपयोग करके चीन ने दुनिया भर में अपने प्रोडक्ट को फैलाया है. अब निर्यात पर असर न पड़े इसलिए चीन बुजुर्गों से काम ले रहा है. युवा आबादी कम होने के कारण चीन के लिए यह नई चुनौती है.
Source : News Nation Bureau