चीन ने अमेरिका द्वारा उसके 28 सगंठनों व कंपनियों को ब्लैक लिस्ट करने पर विरोध जताया है. अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता से पहले अमेरिका ने हाल ही में चीन के शिनजियांग क्षेत्र में उइगर और अन्य अल्पसंख्यक मुस्लिमों के मानवाधिकारों का हनन करने में इन संगठनों व कंपनियों की कथित संलिप्तता के चलते यह फैसला लिया है. समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने बुधवार को वाणिज्य मंत्रालय के एक प्रवक्ता के हवाले से बताया, "चीनी पक्ष बेहद असंतुष्ट है और (चीनी मामलों में हस्तक्षेप का) विरोध करता है."
अमेरिका द्वारा उठाए गए इस कदम ने वाशिंगटन-बीजिंग व्यापार संवाद को फिर से शुरू करने से पहले तनाव को बढ़ा दिया है, जो गुरुवार को शुरू होने वाला है. संभावना है कि अमेरिका कुछ हफ्तों में चीनी सामानों पर नए शुल्क लागू करेगा. चीनी मंत्रालय ने वाशिंगटन को शिनजियांग पर गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी करने से बचने के लिए भी कहा है.
मंत्रालय का कहना है कि इस क्षेत्र में सभी जातीय समूहों के लोग सद्भाव के साथ रहते हैं. इसके अलावा यहां समाज स्थिर है और पिछले तीन वर्षों में यहां कोई आतंकवादी हमला नहीं हुआ है. ताजा सूची में शामिल संस्थानों में चीन की सरकारी एजेंसियां और तकनीकी कंपनियां शामिल हैं.
जिन संगठनों को ब्लैकलिस्ट किया गया है वो मुख्य रूप से सर्विलांस और एआई यानी आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) से संबंधित हैं. चीन ने अमेरिका को हाईकेविजन, दहुआ टेक्नोलॉजी और मेग्वी टेक्नोलॉजी सहित अन्य कंपनियों से प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया है. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने मंगलवार को चीन पर शिनजियांग के स्वायत्त क्षेत्र में उइगरों, कजाक, किर्गिज और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्यधिक दमनकारी अभियान चलाने का आरोप लगाया था.
अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्ट के अनुसार, चीन उइगर मुसलमानों की आवाज को दबा रहा है. इसमें बताया गया है कि चीनी सरकार द्वारा शिनजियांग के री-एजुकेशन शिविरों में करीब 20 लाख लोगों (अधिकतर उइगर मुसलमान) को कैद कर उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है.
Source : आईएएनएस