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चीन पोषित विद्रोही समूह से भारत-म्यांमार ज्वाइंट प्रोजेक्ट को खतरा

कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के उद्देश्य से महत्वाकांक्षी भारत-म्यांमार ज्वाइंट प्रोजेक्ट को म्यांमार स्थित एक विद्रोही समूह से खतरा है.

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Nihar Saxena
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रोहिंग्या विद्रोही गुट खतरा बन रहा भारतीय परियोजनाओं के लिए.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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इसी साल म्यामांर के रक्षा मंत्री ने संकेतों में कहा था कि पड़ोसी देश उनके एक प्रांत के विद्रोही गुटों को खान-पानी दे रहा है. यह विद्रोही गुट म्यांमार समेत भारत के लिए खतरा है. वास्तव में उनका आशय चीन और रखाइन प्रांत में सक्रिय रोहिंग्या मुसलमानों से था. पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद के बाद भी ऐसी खबरें आई थीं कि चीन पूर्वोत्तर भारत के उग्रवादी समूहों समेत म्यांमार के विद्रोही गुटों का इस्तेमाल भारत के लिए कर सकता है. यह आशंका सच साबित हो गई और इसके काले प्रभाव में कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट परियोजना आ गई है. 

खुफिया रिपोर्ट बताती हैं कि कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के उद्देश्य से महत्वाकांक्षी भारत-म्यांमार ज्वाइंट प्रोजेक्ट को म्यांमार स्थित एक विद्रोही समूह से खतरा है. विकास कार्यक्रम के तहत कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट (केएमटीटी) परियोजना को आकार दिया जा रहा है. यह म्यांमार में सिटवे पोर्ट को भारत में कोलकाता से जोड़ती है, चीन द्वारा समर्थित संदिग्ध आतंकवादी अराकान सेना से खतरे में है. गृह मंत्रालय ने हाल ही में कहा कि प्रतिकूल सुरक्षा स्थिति के कारण परियोजना में देरी हुई है.

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इस परियोजना से कोलकाता से सिटवे की दूरी लगभग 1,328 किलोमीटर कम होने की उम्मीद है. गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट परियोजना की धीमी प्रगति पर नाराजगी व्यक्त की है, जिसे विदेश मंत्रालय द्वारा संचालित और वित्त पोषित किया जा रहा है. 21 दिसंबर को संसद में पेश पैनल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सड़क निर्माण की प्रगति संतोषजनक नहीं है.

गृह मंत्रालय ने देखा कि क्षेत्र में सुरक्षा की स्थिति और मिजोरम में भारत-म्यांमार सीमा से पहुंच की कमी देरी के मुख्य कारण हैं. मंत्रालय ने कहा है, 'परियोजना स्थल पर प्रतिकूल सुरक्षा स्थिति हाल के दिनों में और खराब हो गई है.' मंत्रालय ने यह भी कहा है कि म्यांमार सरकार द्वारा परियोजना स्थल पर भारत की ओर से प्रवेश की अनुमति दी गई है. यह अनुमति बहुत प्रयास करने के बाद और निर्माण गतिविधियों के बाद मिली है. मंत्रालय ने कहा है कि इस परियोजना पर कड़ी नजर रखी जा रही है.

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यह भी कहा गया है कि निर्माण कंपनियों द्वारा सामना किए जाने वाले बड़े वित्तीय संकट के परिणामस्वरूप भी देरी हुई है. इससे पहले इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) ने सरकार को सतर्क किया था कि चीन से हथियारों की आपूर्ति विद्रोही समूह अराकान सेना तक पहुंच रही है और वे भारत में मिजोरम के दक्षिणी सिरे की सीमा पर कैंप लगाकर कलादान परियोजना के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं.

पिछले साल फरवरी में भारतीय और म्यांमार की सेनाओं ने अरकान सेना के कैडरों को पीछे धकेलने के लिए ऑपरेशन किया था. आईबी ने हाल ही में एक ताजा इनपुट जारी किया है कि अराकान सेना फिर से कलादान परियोजना को निशाना बनाने की कोशिश कर रही है.

Source : News Nation Bureau

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