पूरी दुनिया के लिए सिर दर्द बना चीन अब अपने आप को दूध का धुला दिखाने का प्रयास कर रहा है. चीन का कहना है कि वह एक शांति प्रिय राष्ट्र है और उसने कभी अपने पड़ोसियों का बुरा नहीं चाहा. यही नहीं चीन ने यहां तक कह दिया कि जब से रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना हुई तब से न तो वह किसी देश से लड़ा है और नहीं उसने किसी की इंच भर जमीन पर आंख उठाकर देखी है. ये बातें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से एक वर्चुअल समिट के दौरान कही.
'चीनी लोग हमेशा शांति और प्यार को तरजीह देते हैं'
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बाइडेन के सामने अपने को एक शांति प्रिय देश के रूप में प्रोजेक्ट किया. शी ने कहा कि उन्होंने कभी किसी युद्ध की शुरुआत नहीं की और न ही कभी किसी की इंच भर जमीन कब्जाई. उन्होंने कहा कि चीनी लोग हमेशा शांति और प्यार को तरजीह देते हैं और आक्रामकता चीन के खून में ही नहीं है. शी जिनपिंग ने कहा कि जब से रिपब्लिक ऑफ चाइना की नींव पड़ी है, तब से न तो चीन किसी लड़ाई की शुरुआत की है और न ही किसी पड़ोसी मुल्क की इंच भर जमीन कब्जाई है. हालांकि शी ने कहा कि वह कभी अपनी संप्रभुता पर आंच नहीं आने देगा. इस बीच उन्होंने ताइवान का समर्थन करने वाले देशों को कड़ा संदेश भी दिया. शी ने कहा कि जो कोई भी ताइवान को लेकर आग से खेल रहा है, उसको भविष्य में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.
भारत के लिए लगातार सिरदर्द चीन
आपको बता दें कि चीन अपने दामन को चाहे जितना पाक साफ दिखाने का प्रयास करे, लेकिन चीन की विस्तारवादी नीति और पड़ोसियों को डराने धमकाने की बात किसी से छिपी नहीं है. वह चीन ही है जिसकी वजह से भारत को 1962 का युद्ध झेलना पड़ा था. यही नहीं 1962 के बाद से चीन भारत के लिए लगातार सिरदर्द बना हुआ है. चीन रह-रह कर सीमा पर एलएसी की वास्तविक स्थिति में बदलाव करने का प्रयास करता रहता है. यही वजह है कि चाहे अरुणाचल प्रदेश हो या फिर लद्दाख भारत का चीन के साथ हमेशा तनाव बना रहता है. हालांकि भारत बार चीन को मुंहतोड़ जवाब देता है. इसके साथ ही दक्षिण चाइना सी में चीन का जापान समेत अपने अधिकांश पड़ोसी देशों से तनाव बना हुआ है.
Source : News Nation Bureau