महामारी रहने के बावजूद चीन के शांघाई शहर में पांचवें सीआईआईई (चाइना अंतर्राष्ट्रीय आयात एक्सपो)का आयोजन कर रहा है. इस साल के सीआईआईई में, चीनी ग्राहक फिर एक बार भारत से बहुत सारे सामान देख पाते हैं. एक्सपो को आयोजित करने का अर्थ है कि चीन हमेशा वैश्वीकरण के बैनर को बुलंद उठाता है, दुनिया के लिए अपने बाजार को पूरी तरह से खोलता है, और विभिन्न देशों से उन्नत उत्पादों, तकनीकों और प्रबंधन अवधारणाओं का आयात करता है. ऐसे एक्सपो के आयोजन से चीन और भारत सहित दूसरे देशों के बीच व्यापार को काफी बढ़ावा दिया जाता है.
चीन एक ऐसा प्रमुख देश है जो विदेशी पूंजी आकर्षित करने और विदेशों में निवेश लगाने दोनों में महत्वपूर्ण है. चीन खुलेपन का विस्तार करने पर जोर देता है, सक्रिय रूप से क्षेत्रीय और वैश्विक व्यापार स्वतंत्रता और निवेश सुविधा को बढ़ावा देता है, और खुद को विकसित करते हुए दुनिया को लाभान्वित करता है. सीआईआईई का प्रत्यक्ष प्रभाव विदेशी कंपनियों को चीनी लोगों के लिए अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने का खिड़की प्रदान करना है, जिससे चीन-विदेश व्यापार को बढ़ावा देना, उद्योगों और उपभोग के उन्नयन को बढ़ावा देना और व्यापक आर्थिक और सामाजिक प्रभाव लाना है.
चीन और भारत दोनों ही उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं हैं, और दोनों देश एक दूसरे के महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार हैं. अकेले इस वर्ष के पहले नौ महीनों में व्यापार की मात्रा 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गई है. हाल के वर्षों के आंकड़े हैं कि चीन-भारतीय व्यापार निरंतर विकास की प्रवृत्ति को दर्शाता है. चीन भारत को औद्योगिक उत्पादों, मुख्य रूप से मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल उत्पादों का निर्यात करता है. उनमें से स्मार्टफोन, एलसीडी टीवी, चिकित्सा आपूर्ति और फार्मास्युटिकल कच्चे माल महत्वपूर्ण वस्तुएं हैं जिनका चीन भारत को निर्यात करता है. भारत से चीन को निर्यात किए जाने वाले मुख्य उत्पाद धातु और उनके कच्चे माल, धातु अयस्क जैसे एल्यूमीनियम और लौह, साथ ही हल्के औद्योगिक उत्पाद, साथ ही कपड़ा कच्चे माल, चावल, रबड़, वनस्पति तेल और सेलूलोज लुगदी हैं. इसके अलावा, इसमें कुछ इलेक्ट्रोमैकेनिकल और मेडिकल उपकरण भी शामिल हैं.
उल्लेखनीय है कि भारत में उत्पादित जेनेरिक दवाओं की चीनी उपभोक्ताओं के बीच काफी प्रतिष्ठा है, विशेष रूप से कैंसर के इलाज के लिए जेनेरिक दवाएं. चीन में एक व्यापक रूप से लोकप्रिय फिल्म है, आई एम नॉट द गॉड ऑफ मेडिसिन, चीनी कैंसर रोगियों की भारतीय जेनेरिक दवाओं पर निर्भरता के लिए समर्पित है. प्रभावी और सस्ती भारतीय जेनरिक दवाएं दोनों देशों के बीच व्यापार के सितारे होने चाहिए. इसके अलावा, भारतीय फलों का चीनी बाजार में भी व्यापक स्थान हो सकता है. वर्तमान में, चीन मुख्य रूप से फिलीपींस, थाईलैंड और वियतनाम जैसे दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से फल आयात करता है. वास्तव में, भारत में संतरा, सेब और केले का उत्पादन और गुणवत्ता बहुत अधिक है. भविष्य में, चीन को एक महत्वपूर्ण बाजार होना चाहिए भारतीय फल के लिए.
चीन और भारत दोनों ही लगभग 1.4 अरब की आबादी वाले बड़े देश हैं. दोनों ही पश्चिम के विकसित देशों की तुलना में तेजी से बढ़ रहे हैं. अगर यही विकास दर जारी रही तो 2030 तक चीन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा, जबकि भारत दुनिया की तीसरी या दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. हालाँकि, भले ही चीन और भारत दुनिया के शीर्ष पर पहुँच जाएँ, यह केवल उनकी ऐतिहासिक स्थिति की बहाली है. पश्चिमी औपनिवेशिक युग की शुरूआत से पहले, भारत और चीन दोनों वैश्विक अर्थव्यवस्था के एक तिहाई या एक चौथाई तक पहुंच चुके थे. प्राचीन काल से ही, चीन और भारत के व्यापारिक यात्रियों ने भूमि और समुद्री सिल्क रोड के माध्यम से व्यापार किया था. चीन-भारतीय व्यापार का विकास दोनों देशों और सारी दुनिया के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.
Source : IANS