भारत ने खोल दी चीन की आर्थिक पोल, लड़ेगा कैसे...बढ़ते कर्ज से खोखला हो रहा ड्रैगन

राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए अधिक चिंता की बात हो सकती है, क्योंकि वह वैश्विक स्तर पर अभूतपूर्व आलोचनाओं का सामना कर रहे हैं जबकि उनकी लोकप्रियता घरेलू स्तर पर गिर गई है.

author-image
Nihar Saxena
New Update
China Economy

आर्थिक तौर पर भी खोखला हो रहा है चीन...तो लड़ता कैसे भारत से.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

Advertisment

एक बार फिर निगाहें चीन (China) पर हैं और एक बार फिर यह किसी अच्छी वजह से नहीं हैं. 2020 की पहली तिमाही में चीन की अर्थव्यवस्था (Economy) में 6.8 प्रतिशत की कमी आई और अप्रैल में इसकी बेरोजगारी दर 6.2 प्रतिशत को छू गई, लेकिन जिस चीज ने रेटिंग एजेंसियों का ध्यान चीन की ओर खींचा है, वह है इसकी बेतहाशा बढ़ती ऋण समस्या. वर्तमान में इसका 'डेब्ट-टू-जीडीपी' अनुपात 317 प्रतिशत है. मुख्य रूप से रियल एस्टेट (Real Estate) और शैडो बैंकिंग से प्रेरित देश का कुल कर्ज पिछले एक दशक में लगातार बढ़ा है. चीन का प्रोत्साहन पैकेज भले ही उसके सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 4.5 प्रतिशत है, लेकिन यह आर्थिक सुस्ती से निपटने के लिए अपर्याप्त है और उच्च स्तर के ऋण के साथ, एक उच्च बूस्टर की संभावना के लिए बहुत कम जगह है.

यह भी पढ़ेंः LAC पर अभी भी वायुसेना के विमान कर रहे हवाई गश्त, इस बीच चीनी सैनिकों की वापसी जारी

शैडो बैंकिंग का सहारा ले रहा चीन
चीन ने चतुराई से उचित स्तर पर केंद्र सरकार द्वारा प्रत्यक्ष उधार लिया है, लेकिन स्थानीय सरकारों और उनकी कंपनियों और बैंकों के खाते एक ऐसे मकड़जाल में हैं जिसका विश्लेषण करना मुश्किल है. कमेटी ऑफ द एबोलिशन ऑफ इल्लीजिटिमेट डेब्ट के दिसंबर 2018 के एक अध्ययन के अनुसार, 'केंद्र सरकार बड़े विदेशी मुद्रा भंडार से अधिक लाभान्वित नहीं हुई है लेकिन क्षेत्रीय सरकारों ने 2007 से असुरक्षित वित्तीय कार्यों का विस्तार किया है और अक्सर ऑफ-द-काउंटर ऋण या शैडो बैंकिंग का सहारा लेती हैं.'

यह भी पढ़ेंः चीन ने गलवान घाटी में लिया यू-टर्न तो भड़की पाकिस्तानी अवाम, जानें क्यों

कॉर्पोरेट ऋण की स्थिति ज्यादा गंभीर
चीन में कॉर्पोरेट ऋण, जिसमें राज्य के खुद के उद्यम और निजी कंपनियों का कर्ज शामिल है, सबसे बड़ा हिस्सा है. यह तब भी बढ़ रहा है, जब इसका बाहरी ऋण कम बना हुआ है. दो रेटिंग एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस मुद्दे पर प्रकाश डालने से इनकार कर दिया. चूंकि चीन को कोरोनो वायरस की महामारी से निपटने, सूचनाओं को दबाने और भारत सहित कई देशों के साथ सैन्य तनाव के लिए दुनिया में अलग-थलग होना पड़ा है. ऐसे में अभी तक ड्रैगन राष्ट्र के साथ उदार रुख अपनाने वाली रेटिंग एजेंसियां जल्द ही एक सख्त रुख अपना सकती हैं.

यह भी पढ़ेंः विदेश समाचार चीन की आक्रामकता के विरोध में भारत-अमेरिका ने इस समूह का किया गठन 

चीन पर वैश्विक दबाव बढ़ने से खुलेगी पोल
देश से सूचना प्रवाह का अपारदर्शी रूप भी चिंता में इजाफा कर रहा है. एक विश्लेषक ने कहा, 'यह जल्द ही रेटिंग एजेंसियों के ध्यान में आ जाएगा, क्योंकि चीन और उसके कामकाज पर वैश्विक दबाव बढ़ रहा है.' 'चाइनापॉवर' ने लिखा है, चीन का उधार पारंपरिक रूप से प्रमुख राज्य-नियंत्रित बैंकों से आता रहा है, लेकिन अब इसमें कम पारदर्शी वैकल्पिक उधार स्रोतों की ओर बदलाव हुआ है जो उच्च जोखिम वाले ऋण पैदा कर सकते हैं और चीन के ऋण संकट को बढ़ा सकते हैं. यह उधार कई बार छोटे स्थानीय विनियमित निवेश बेचने वाले प्रांतीय बैंकों के माध्यम से आ रहा है.'

यह भी पढ़ेंः 9 जुलाई को होगा ग्लोबल इंडिया वीक का आगाज, पीएम मोदी करेंगे संबोधित

लापरवाही से बांट रहा कर्ज
चीन एशिया और अफ्रीका के विभिन्न देशों को अपनी महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के तहत लापरवाही से कर्ज दे रहा है. राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों और बैंकों के साथ-साथ द्विपक्षीय रूप से यह कर्ज दिए जा रहे हैं. महामारी से प्रेरित तीव्र मंदी की मार झेल रहे इनमें से कई देश ड्रैगन राष्ट्र को कर्ज चुकाने की स्थिति में नहीं हैं. इससे चीन को कर्जो की रिस्ट्रक्चरिंग करनी पड़ रही है. यह राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए अधिक चिंता की बात हो सकती है, क्योंकि वह वैश्विक स्तर पर अभूतपूर्व आलोचनाओं का सामना कर रहे हैं जबकि उनकी लोकप्रियता घरेलू स्तर पर गिर गई है.

HIGHLIGHTS

  • 2020 की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था में 6.8 प्रतिशत की कमी.
  • अप्रैल में इसकी बेरोजगारी दर 6.2 प्रतिशत को छू गई.
  • शी जिनपंग के खिलाफ घरेलू मोर्चे पर भी बढ़ रहा है असंतोष.
PM Narendra Modi economy Unemployment china Xi Jinping India China Border Dispute Doldrums
Advertisment
Advertisment
Advertisment