Advertisment

Corona वायरस की जांच में चीन डाल रहा रोड़ा, रास्ते बंद... तलाश रुकी

चीन भेजे गए अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की तलाश रुक गई है. इन वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि वायरस की उत्पत्ति के रहस्य पर से पर्दा उठाने के रास्ते तेजी से बंद हो रहे हैं.

author-image
Nihar Saxena
एडिट
New Update
Wuhan Lab

लगता है कभी सामने नहीं आ सकेगा वुहान लैब का कोरोना सच.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

Advertisment

कोरोना वायरस (Corona Virus) की उत्पत्ति के लिए भले ही शक की सुई चीन की वुहान (Wuhan) स्थित लैब की ओर लगातार उठ रही हों. भले ही अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों के दबाव में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) का दल वुहान लैब के डाटा की जांच कर रहा हो, लेकिन इतना तय है कि कोविड-19 संक्रमण के लिए जिम्मेदार वायरस औऱ चीन की वुहान लैब का संबंध शायद ही कभी सामने आ सके. इसकी वजह यह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से कोरोना वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए चीन भेजे गए अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की तलाश रुक गई है. इन वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि वायरस की उत्पत्ति के रहस्य पर से पर्दा उठाने के रास्ते तेजी से बंद हो रहे हैं. इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की ओर से वायरस की उत्पत्ति संबंधी जांच की खुफिया समीक्षा से भी कोई नतीजा सामने नहीं आया है. 

चीन नहीं साझा कर रहा मरीजों की जानकारी
वॉशिंगटन पोस्ट की एक खबर के अनुसार खुफिया समीक्षा के दौरान इस निर्णय पर नहीं पहुंचा जा सका कि वायरस जानवरों से इंसानों में फैला या चीन की प्रयोगशाला से वह लीक हुआ और फिर दुनिया भर में फैला. जर्नल नेचर में डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों की टिप्पणी में कहा गया कि वायरस की उत्पत्ति संबंधी जांच एक अहम मोड़ पर पहुंच चुकी है. इस जांच को आगे बढ़ाने के लिए चीन के साथ समन्वय और सहयोग की जरूरत है. यह अलग बात है कि जांच में गतिरोध बना हुआ है. डब्ल्यूएचओ के वैज्ञानिकों ने दो टूक कहा है कि चीनी अधिकारी अब भी मरीजों की गोपनीयता का हवाला दे डाटा साझा करने में कोताही बरत रहे हैं. जाहिर है कि चीन नहीं चाहता है कि वुहान लैब की पारदर्शी जांच हो और दूध का दूध और पानी का पानी सामने आए.  

यह भी पढ़ेंः अफगानिस्तान पर क्या होगा भारत का कदम? केंद्र सरकार ने आज बुलाई सर्वदलीय बैठक

वुहान में 2019 में मिला था पहला कोरोना संक्रमित
गौरतलब है कि अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के भारी दबाव में इस साल के शुरुआत में डब्ल्यूएचओ ने विशेषज्ञों की टीम वुहान भेजी थी. वुहान में ही दिसंबर 2019 में कोरोना वायरस से मानव के संक्रमित होने का पहला मामला सामने आया था. वैज्ञानिकों की टीम यह पता लगाने गई थी कि किन कारणों से महामारी फैली, जिसकी वजह से अबतक करीब 45 लाख लोग पूरी दुनिया में जान गंवा चुके हैं. यही नहीं कोरोना वैक्सीन की तेज रफ्तार के बावजूद दुनिया में हर रोज 10 हजार से अधिक मौत हो रही हैं. डब्ल्यूएचओं विशेषज्ञों का विश्लेषण मार्च में प्रकाशित किया गया था जिसमें जानवर से इंसान में वायरस के फैलने की आशंका जताई थी और उन्होंने कहा था कि प्रयोगशाला से वायरस के प्रसार की संभावना बहुत कम है. अब डब्ल्यूएचओ के वैज्ञानिकों के दल ने चेताया है अहम मामले की जांच का अवसर तेजी से समाप्त हो रहा है. जांच में देरी जैविक तरीके से कुछ अध्ययनों को असंभव बना देगा. इस कारण वुहान लैब की जिम्मेदारी तय करना मुश्किल ही नहीं, बल्कि असंभव हो जाएगा. 

HIGHLIGHTS

  • चीन मरीजों की गोपनीयता का हवाला दे नहीं साझा कर रहा जानकारी
  • WHO के वैज्ञानिकों ने चेताया तेजी से बंद हो रहे जांच के रास्ते
  • चीन ने शुरू से वुहान लैब की जांच पर अपना रखा है अड़ियल रुख
INDIA covid-19 चीन भारत corona-virus World Health Organization America अमेरिका WHO Wuhan डब्ल्यूएचओ वुहान लैब विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन
Advertisment
Advertisment
Advertisment