चीन ने मंगलवार को अपनी सामरिक ताक़त में हो रहे इज़ाफ़े की नुमाइश करते हुए पहली बार चेंगदू जे-20 स्टेल्थ फाइटर जेट को लोगों के सामने पेश किया। झूहाई शहर के दक्षिणी हिस्से में हो रहे 'एयर शो चाइना' में उस वक़्त सबकी साँसे थमी रह गईं, जब महज़ 1 मिनट के लिए इस बेमिसाल चेंगदू स्टेल्थ फाइटर जेट ने पदाधिकारियों और आम जनता के ऊपर से उड़ान भरी। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की मारक क्षमता की दिशा में यह बहुत महत्वपूर्ण कदम है।
हांलांकि अभी चेंगदू जे-20 स्टेल्थ फाइटर जेट को अपने समकक्ष स्टेल्थ फाइटरों के क्षमताओं के चश्मे से देखा जाएगा। यह कहना जल्दबाजी होगी कि चेंगदू जे-20 स्टील्थ फाइटर जेट भी लॉकहीड मार्टिन के एफ-22 रैप्टर की मानिंद ही रडार को चकमा देने में कामयाब साबित होगा।
दक्षिणी और पूर्वी चीन के समुद्री इलाकों पर अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए चीन स्टेल्थ तकनीक पर ज्यादा ज़ोर दे रहा है। सामरिक क्षेत्र में चीन के आक्रामक रवैया भारत के लिए चिंता का विषय है। चीन के इन कदमों से दक्षिण एशिया में हथियारों की रेस शुरू हो सकती है।
क्या है स्टेल्थ तकनीक का इतिहास:
- आपको बता दें कि स्टेल्थ तकनीक से बने फाइटर जेट रडार, इंफ्रारेड और दूसरी तकनीकों की पकड़ में नहीं आते हैं और दूसरों की नज़र से बचते हुए खतरनाक हमले कर सकते हैं।
- माना जाता है कि दुसरे विश्वयुद्ध के वक़्त जर्मनी ने इस तरह की तकनीक से बने जेट पर काम शुरू कर दिया था।
- 1970 के दशक में लॉकहीड ने स्टेल्थ का एक मॉडल बनाया, जिसे नाम दिया गया: होपलेस डायमंड। इस मॉडल ने स्टील्थ फाइटरों की दुनिया में धूम मचा दिया।
- इसके बाद विकसित किया गया F-22 जिसमे स्टील्थ फाइटर की पांचों खूबियां हैं। मसलन, इंफ्रारेड की पकड़ में ना आना, काम से काम रेडियो ट्रांसमिशन करना, नंगी आँखों से ना दिख पाना, कम से कम आवाज़ के साथ उड़ान भरना एक बेहतरीन स्टील्थ फाइटर जेट की पहचान है।
Source : News Nation Bureau