कुछ दिनों पहले एक इंटरव्यू में अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ताइवान को अलग देश मानने वाले बयान दिए जाने के बाद चीन अमेरिका से बेहद खफा नजर आ रहा है।
चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय पेज पर लिखे गए एक लेख में कहा गया है कि अमेरिका को करारा जवाब देने के लिए चीन को ताइवान पर सैन्य बल का इस्तेमाल कर उसे फिर से चीन का मुख्य हिस्सा बना लेना चाहिए। ग्लोबल टाइम्स अखबार को चीनी सरकार ही चलाती है।
अमेरिका ताइवान को चीन का हिस्सा नहीं मानता जबकि चीन ताइवान पर हमेशा से अपना अधिकार मानता आया है।
ग्लोबल टाइम्स में लिखे गए इस संपादकीय को इसलिए नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि इसे बीजिंग की तरफ से विदेश मामलों पर किए गए टिप्पणी को अमेरिका के खिलाफ प्रॉक्सी वार के तौर पर देखा जा रहा है।
चीन में ग्लोबल टाइम्स अखबार को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का भी बेहद करीबी माना जाता है और इसके साथ ही चीन की ज्यादातर मीडिया को सरकारी या राष्ट्रवादी माना जाता है जो सरकार के अधीन काम करते हैं।
ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि करीब चार दशकों के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने प्रोटोकॉल तोड़ते हुए ताइवान के राष्ट्रपति से बात की और उन से चुनाव जीतने की बधाई भी ली। इसके साथ ही ट्रंप ने ताइवान के राष्ट्रपति से चीन को लेकर उनकी रणनीति भी पूछ ली थी जिससे चीन अमेरिका पर काफी भड़का हुआ है।
इसी के बाद चाइना की विदेश पॉलिसी को लेकर चीन की ज्यादातर मीडिया जो कि राष्ट्रवादी होने का दावा करते हैं वो चीन की अमेरिकी नीति को लेकर मंथन में जुट गए हैं।
Source : News Nation Bureau
ट्रंप के बयानबाजी के बाद ताइवान के खिलाफ सैन्य ताकत का इस्तेमाल करेगा चीन!
ष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ताइवान को अलग देश मानने वाले बयान दिए जाने के बाद चीन अमेरिका से बेहद खफा नजर आ रहा है।
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कुछ दिनों पहले एक इंटरव्यू में अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ताइवान को अलग देश मानने वाले बयान दिए जाने के बाद चीन अमेरिका से बेहद खफा नजर आ रहा है।
चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय पेज पर लिखे गए एक लेख में कहा गया है कि अमेरिका को करारा जवाब देने के लिए चीन को ताइवान पर सैन्य बल का इस्तेमाल कर उसे फिर से चीन का मुख्य हिस्सा बना लेना चाहिए। ग्लोबल टाइम्स अखबार को चीनी सरकार ही चलाती है।
अमेरिका ताइवान को चीन का हिस्सा नहीं मानता जबकि चीन ताइवान पर हमेशा से अपना अधिकार मानता आया है।
ग्लोबल टाइम्स में लिखे गए इस संपादकीय को इसलिए नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि इसे बीजिंग की तरफ से विदेश मामलों पर किए गए टिप्पणी को अमेरिका के खिलाफ प्रॉक्सी वार के तौर पर देखा जा रहा है।
चीन में ग्लोबल टाइम्स अखबार को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का भी बेहद करीबी माना जाता है और इसके साथ ही चीन की ज्यादातर मीडिया को सरकारी या राष्ट्रवादी माना जाता है जो सरकार के अधीन काम करते हैं।
ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि करीब चार दशकों के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने प्रोटोकॉल तोड़ते हुए ताइवान के राष्ट्रपति से बात की और उन से चुनाव जीतने की बधाई भी ली। इसके साथ ही ट्रंप ने ताइवान के राष्ट्रपति से चीन को लेकर उनकी रणनीति भी पूछ ली थी जिससे चीन अमेरिका पर काफी भड़का हुआ है।
इसी के बाद चाइना की विदेश पॉलिसी को लेकर चीन की ज्यादातर मीडिया जो कि राष्ट्रवादी होने का दावा करते हैं वो चीन की अमेरिकी नीति को लेकर मंथन में जुट गए हैं।
Source : News Nation Bureau