भारत के अग्नि-V अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल के आगामी परीक्षण करने की खबरों के बीच चीन ने भारत के मिसाइल कार्यक्रम पर सवाल उठाया है. चीन ने गुरुवार को भारत के 1998 के परमाणु परीक्षण के बाद जारी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्ताव का हवाला देते हुए भारत के परमाणु परीक्षण कार्यक्रम को अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा कानूनों के खिलाफ बताया है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने गुरुवार को भारत के आगामी परीक्षण की रिपोर्टों पर सवालों के जवाब में कहा, "जहां तक भारत परमाणु हथियार पहुंचाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल विकसित कर सकता है, UNSCR 1172 में पहले से ही स्पष्ट शर्तें हैं."
इस समय चीनी प्रेस का ध्यान इस पर केंद्रित है कि 5,000 किमी की दूरी की परमाणु-सक्षम मिसाइल के जद में चीन के कई शहर आ सकते हैं. झाओ ने कहा, "दक्षिण एशिया में शांति, सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखना सभी के साझा हितों को पूरा करता है, चीन को उम्मीद है कि सभी पक्ष रचनात्मक प्रयास करेंगे." वह सहयोग बेरोकटोक जारी है और तीन साल पहले आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया गया था.
जबकि 2018 में चीनी विज्ञान अकादमी ने घोषणा की कि उसने पाकिस्तान को मल्टी-वारहेड मिसाइलों के विकास में तेजी लाने के लिए एक ट्रैकिंग सिस्टम बेचा है. चीन की सरकारी संस्था का यह दावा साबित करता है कि वह दक्षिण एशिया में शांति, सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने के लिए कितना प्रतिबद्ध है. चीन और पाकिस्तान हमेशा से ही भारत के सैन्य सुदृढ़ीकरण एवं परमाणु सशक्तिकरण के विरोधी रहे है.
चीन भारत के मिसाइल कार्यक्रम के संबंध में प्रस्ताव का हवाला दे रहा है. जबकि इसके विपरीत चीन दशकों से पाकिस्तान के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों के विकास में सहायता कर रहा है. यहां तक कि वह पाकिस्तान को यूरेनियम से समृद्ध और परमाणु-सक्षम मिसाइलों के लिए प्रौद्योगिकी तक प्रदान कर रहा है.
लेफ्टीनेंट जनरल (रिटायर्ड) राकेश शर्मा कहते है कि , "चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का बयान बेहद अचंभित करने वाला है. चीन समेत उसके पिट्ठू उत्तर कोरिया और पाकिस्तान मिसाइल सरीखे परमाणु हथियारों का परीक्षण करते रहते हैं. यह अलग बात है कि उन्हें भारत के लिए यह मंजूर नहीं है, जो अपनी रक्षा के लिए मिसाइल कार्यक्रम चला रहा है. वह भारत के सुरक्षा के अधिकार को स्वीकार करने से इनकार करते हैं. UNSCR 1172 जारी होने के समय से ही यह देखा जा रहा है कि चीन ने दक्षिण और पूर्वी चीन सागरों और पूर्वी लद्दाख में अत्यधिक युद्ध और विस्तारवाद दिखाया है. भारत इस विस्तारवाद के खिलाफ सर्वोत्तम संभव तरीकों से योजना बनाने और तैयारी करने का अधिकार सुरक्षित रखता है. ऐसा ही एक माध्यम है जिन मिसाइलों का परीक्षण किया जा रहा है. हमें सर्वोत्तम साधनों पर विचार करना जारी रखना चाहिए और अनुसंधान और प्रयोग जारी रखना चाहिए. चीनी विदेश मंत्रालय के राजनीतिक बयानों के दबाव में हमें अपने राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाने के लिए नहीं रोकना चाहिए."
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वैश्विक स्तर पर भारत की बढ़ती साख और सेना को अत्याधुनिक तरीके से सुसज्जित करने कि खबर से चीन बौखलाया है. दुनिया भर में भारत की बढ़ती रणनीतिक-कूटनीतिक क्षमता भी चीन पचा नहीं पा रहा है. इसलिए अब वह भारत के अग्नि-v अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल के आगामी परीक्षण को रोकने के लिए दबाव बना रहा है. चीन नहीं चाहता कि भारत किसी तरह आगे बढ़े.
सीएएस इंस्टीट्यूट ऑफ ऑप्टिक्स एंड इलेक्ट्रॉनिक्स के एक शोधकर्ता झेंग मेंगवेई ने हांगकांग स्थित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट को बताया कि पाकिस्तान ने "अत्यधिक परिष्कृत, बड़े पैमाने पर ऑप्टिकल ट्रैकिंग और माप प्रणाली" खरीदी है. “हमने उन्हें बस एक जोड़ी आंखें दीं. वे जो कुछ भी देखना चाहते हैं, यहां तक कि चंद्रमा को देखने के लिए उनका उपयोग कर सकते हैं, ” उन्होंने कहा, यह देखते हुए कि चीन पाकिस्तान को ऐसे संवेदनशील उपकरण निर्यात करने वाला पहला देश था, जिसे पाकिस्तानी सेना द्वारा “फायरिंग रेंज ” नई मिसाइलों के परीक्षण के लिए पर तैनात किया गया था.
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट ने उस समय की बिक्री को भारत के अग्नि-V के विकास से जोड़ा है. इसने नोट किया कि यह "एक लंबे समय से धारणा रही है कि बीजिंग इस्लामाबाद के मिसाइल विकास कार्यक्रम का समर्थन कर रहा है, लेकिन ठोस सबूत शायद ही कभी सार्वजनिक डोमेन में पाए जा सकते हैं, जिससे सीएएस का बयान दुर्लभ हो जाता है." बिक्री पर सीएएस के बयान में कहा गया है कि सीएएस टीम ने "पाकिस्तान में लगभग तीन महीनों के दौरान ट्रैकिंग सिस्टम को इकट्ठा करने और कैलिब्रेट करने और तकनीकी कर्मचारियों को इसका उपयोग करने के लिए प्रशिक्षण देने के दौरान वीआईपी उपचार का आनंद लिया."
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जून 1998 में अपनाए गए UNSC के प्रस्ताव 1172 का जिक्र कर रहे थे. 1998 के परमाणु परीक्षणों के बाद के प्रस्ताव में, "भारत और पाकिस्तान को अपने परमाणु हथियार विकास कार्यक्रमों को तुरंत बंद करने, शस्त्रीकरण से परहेज करने का आह्वान किया गया था. इसके साथ ही परमाणु हथियारों की तैनाती, परमाणु हथियार पहुंचाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलों के विकास और परमाणु हथियारों के लिए विखंडनीय सामग्री के किसी भी उत्पादन को रोकने के लिए, उपकरण, सामग्री या प्रौद्योगिकी का निर्यात न करने की उनकी नीतियों की पुष्टि करने के लिए जो सामूहिक विनाश या मिसाइलों के हथियारों में योगदान कर सकते हैं उन्हें वितरित करने और उस संबंध में उचित प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में सक्षम पर रोक लगाता है."
HIGHLIGHTS
- अग्नि-V अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल के आगामी परीक्षण करने की खबरों से चीन बौखलाया
- चीन दशकों से पाकिस्तान के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों के विकास में सहायता कर रहा है
- चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने जून 1998 में अपनाए गए UNSC के प्रस्ताव 1172 का जिक्र किया