अगर अफगानिस्तान में लोकतांत्रिक सरकार का पतन होता है और वहां तालिबान आतंकियों का शासन आता है, तो चीन उसे मान्यता देने की तैयारी में है. गौरतलब है कि अफगानिस्तान के बड़े शहरों और प्रांतीय राजधानियों को तालिबान धीरे-धीरे अपने नियंत्रण में ले रहा है. ऐसे में तालिबान पर पाकिस्तान के बाद चीन भी मेहरबान होने को तैयार है. हाल के दिनों में अफगानिस्तान में शांति कायम करने के उपायों में शामिल और तालिबानी प्रतिनिधि से मुलाकात करने वाले चीन ने इस तरह अपना असली रंग दिखाया है. चीन अब अफगानिस्तान में तालिबान राज को मान्यता देने पर विचार कर रहा है. यूएस न्यूज को जानकारी मिली है कि तालिबान राज को चीन मान्यता दे सकता है. अगर ऐसा होता है तो यह भारत और अमेरिका समेत उन देशों के लिए बड़ा झटका होगा, जो तालिबान पर दबाव बनाने की लगातार कोशिशें कर रहे हैं और अफगानिस्तान में शांति बहाल करने के प्रयासों में जुटे हैं.
अमेरिकी रुख से इतर जाएगा चीन
यूएस न्यूज के मुताबिक अगर आतंकवादी समूह अफगानिस्तान में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई अफगान सरकार पर हावी हो जाता है और काबुल पर भी अपना कब्जा जमा लेता है तो चीन तालिबान को अफगानिस्तान के वैध शासक के रूप में मान्यता देने के लिए तैयार है. चीनी आकलन से परिचित खुफिया सूत्रों के हवाले से यूएस न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति के मद्देनजर नए चीनी सैन्य और खुफिया आकलन ने उन्हें आतंकवादी समूह यानी तालिबान के साथ अपने संबंधों को औपचारिक रूप देने के लिए तैयार करने के लिए प्रेरित किया है. बता दें कि अमेरिका तालिबान को मान्यता देने के खिलाफ है.
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तालिबान काबुल से महज 90 किमी दूर
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान ने मई में अपना आक्रामक विस्तार शुरू किया और अब तक कई प्रांतों और प्रमुख जिलों पर कब्जा कर लिया है. हर गुजरते दिन के साथ तालिबान का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है. शुक्रवार को मिली ताजा जानकारी के मुताबिक तालिबान ने अफगानिस्तान के लोगार इलाके पर कब्जा कर लिया है. यहां से काबुल महज 90 किलोमीटर दूर रह जाता है. गौरतलब है कि पहले से तालिबान द्वारा नियंत्रित अनुमानित 73 जिलों के अलावा, आतंकी समूह ने 160 से अधिक जिलों में अपना कब्जा जमा लिया है. अगर हालिया आंकड़ों की बात करें तो तालिबान ने अब अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से 12 पर अपना कब्जा कर लिया है, जिसमें कंधार, हेरात और लश्कर गाह जैसे अहम शहर शामिल हैं.
HIGHLIGHTS
- चीनी सैन्य और खुफिया तालिबान से संबंधों को दर्जा देने की तैयारी में
- अमेरिका कतई नहीं चाहता कि तालिबान राज को मान्यता मिले
- भारत और उन तमाम देशों को झटका, जो तालिबान राज के खिलाफ