अंततः चीन ने रूस को अपना असली रंग दिखा ही दिया. यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने रूस पर तमाम प्रतिबंध थोपे हैं. इन प्रतिबंधों में बोइंग और एयरबस के कलपुर्जों की आपूर्ति भी शामिल थी. ऐसे में रूस ने मदद के लिए चीन की तरफ हाथ बढ़ाया था. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक रूस की मदद के आग्रह को चीन ने सिरे से ठुकरा दिया है. ऐसे में अब रूस अपनी एयरलाइंस को विमान के पुर्जों की आपूर्ति के लिए भारत की तरफ आशा भरी नजरों से देख रहा है. चीन द्वारा मना करने के बाद रूस अब भारत और तुर्की जैसे देशों से मदद की उम्मीद में है.
रूस पर पड़ने लगा प्रतिबंधों का असर
गौरतलब है कि अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने रूस पर इतने प्रतिबंध थोपे हैं कि उनकी संख्या के आगे उत्तर कोरिया और ईरान जैसे देश भी कहीं पीछे छूट गए हैं. इस कड़ी में बोइंग और एयरबस द्वारा कलपुर्जों की आपूर्ति रोकने के बाद रूस ने चीन की ओर रुख किया था, लेकिन चीन ने रूसी एयरलाइंस को विमान के पुर्जों की आपूर्ति करने से इनकार कर दिया है. वह भी तब जब रूसी विदेश मंत्रालय ने इस सप्ताह रूसी यात्री उड़ानों की सुरक्षा को लेकर चेतावनी जारी की थी. इसी आलोक में रूस ने चीन से मदद मांगी थी.
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रूस निकाल रहा प्रतिबंधों की तोड़
एक रूसी फेडरल एयर ट्रांसपोर्ट एजेंसी अधिकारी वालेरी कुडिनोव के हवाले से कहा कि चीन द्वारा मना करने के बाद रूस अब भारत और तुर्की जैसे देशों से मदद की उम्मीद में है. रूसी कंपनियां अपने विमानों को रजिस्टर कर रही हैं, जिनमें से कई विदेशों में रजिस्टर्ड हैं. रूस में अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के विमानन प्रतिबंधों के बाद उन्हें उम्मीद है कि कुछ अन्य लोगों को पट्टे पर देने वाली कंपनियों को वापस कर दिया जाएगा.
HIGHLIGHTS
- रूस ने अपनी विमान कंपनियों के लिए मांगे थे पुर्जे
- शी जिनपिंग सरकार ने कर दिया सिरे से इनकार
- अब रूस को भारत समेत तुर्की से मदद की आस